Friday 16 September 2016

कश्मीर अब कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के हाथ

आतंकी कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से शुरू हुई कश्मीर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही। पिछले दो महीने से आतंक का एक ऐसा नया दौर आरंभ हुआ है कि दशकों बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई है जिसने 90 के दशक की यादों को ताजा कर दिया है। इस ताजा हिंसा चक्र ने यह साबित कर दिया है कि कश्मीर के इस्लामिक कट्टरपंथियों ने आजादी के नाम पर जेहाद छेड़ रखा है। लोगों को भारत के खिलाफ उकसाने वाला अलगाववादी खेमा सिर्प हड़ताली कैलेंडर जारी करने तक सिमट चुका है। यह जो हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, एक साथ पांच-पांच जगह पर सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे हैं इसके पीछे कमान कश्मीर में शरिया का सपना पालने वाले मजहबी संगठनों ने अपने हाथ  में ले ली है। जमायत--इस्लामी, सौऊत-उल-इस्लाम, सौऊत-अल-आलिया, सौऊत-उल-हक, जमायत--अहल--हदीस समेत विभिन्न मजहबी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से बीते दो माह से वादी के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्र विरोधी रैलियां, जलसे व रोड शो किए जा रहे हैं। रैलियों को संबोधित करने वालों में बेशक हुर्रियत नेता भी शामिल हैं, लेकिन मुख्य वक्ता जेहाद का पाठ पढ़ाते विभिन्न इस्लामिक विचारधाराओं के आलिम व मौलवी ही रहते हैं। पाकिस्तान से नाता क्या ला इलाहा इल्लाह, यहां क्या चलेगा। निजाम--मुस्तफा, अल जेहाद-अल जेहाद, लश्कर आई लश्कर आई-भारत तेरी मौत आई, यह वह चन्द नारे हैं, जो पाकिस्तान के झंडों के बीच कहीं-कहीं आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के झंडे व बैनर लहराती भीड़ इन रैलियों में लगाती है। कश्मीर विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर में सक्रिय विभिन्न मजहबी संगठन भारत से अलगाव के समर्थक हैं। उनमें से कई हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्य भी हैं, लेकिन उनका एजेंडा निहायत खतरनाक व कश्मीर की भौगोलिक आजादी से कहीं ज्यादा है। इन्हीं संगठनों के हर जिले, मोहल्ले में काडर बन गए हैं। ये रैलियां भी उन्हीं इलाकों में हो रही हैं, जहां आतंकी संगठनों की पोषक विचारधारा के संगठनों का कैडर ज्यादा है। हुर्रियत नेताओं को भी इस सच का पता है और कश्मीर में जारी रैलियां इस सच्चाई को दुनिया के सामने ला रही हैं। राज्य पुलिस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 63 दिनों में कश्मीर में ऐसी छोटी-बड़ी 530 से ज्यादा रैलियां व जलसे हो चुके हैं। इनमें आतंकी भी बंदूकें लहराते हुए नजर आए हैं। कश्मीर में आजादी का कोई आंदोलन नहीं है। इस्लामिक कट्टरवाद ही कश्मीर में हिंसा की जड़ है। हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर--तैयबा, जैश--मोहम्मद, तहरीकुल मुजाहिद्दीन, हरकतुल जेहादी इस्लामी समेत आप किसी भी संगठन का नाम ले लें। वह इस्लाम की किसी न किसी कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़ा है।

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