Tuesday 27 September 2016

आतंकवाद को सबसे ज्यादा फंडिंग सऊदी अरब करता है

आतंकवाद की फंडिंग आज सारी दुनिया के लिए एक चुनौती बन चुका है। लेकिन सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि इस पर काबू पाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  चलने वाली तमाम कवायदों के बावजूद इस समस्या पर अंकुश नहीं लग रहा है। अमेरिकी विशेषज्ञों और राजनयिकों का मानना है कि दुनियाभर में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए सऊदी अरब सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन और डेमोकेटिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन दोनों की राय भी इस पर एक है। हालांकि वैसे दोनों के विचारों में जमीन-आसमान का अंतर है पर दोनों का मानना है कि दुनियाभर में आतंकवाद और इस्लामिक चरमपंथी व आर्थिक मददगार सऊदी अरब ही है। अमेरिका में हुए 9/11 हमलों में 19 में से 15 आत्मघाती हमलावर सऊदी अरब के नागरिक थे। तमाम दुनिया में कट्टरपंथी संगठनों को सऊदी अरब से करोड़ों का चन्दा मिलता है। गत दिनों अमेरिका में सऊदी सरकार पर बाकायदा मुकदमा चलाने का एक बिल पास भी किया। द वाशिंगटन पोस्ट में लिखे एक लेख में  पत्रकार फरीद जकारिया ने कहा कि सऊदी अरब ने इस्लाम की दुनिया में एक राक्षस पैदा किया है। आम धारणा बन गई है कि सऊदी कठोर, धर्मांध, पितृसत्तात्मक और इस्लामिक कट्टरपंथी है। सऊदी पर वहाबी की शिक्षा देने का आरोप है। वहाबी कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। आईएस के बढ़ते प्रभाव ने सऊदी को केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी ने ही लादेन जैसे खूंखार आतंकियों को पैदा किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 9/11 हमले में सऊदी अरब सरकार पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले विधेयक पर वीटो कर दिया है। हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली अमेरिकी संसद दो-तिहाई वोट से इस वीटो को खारिज कर सकती है। इससे राष्ट्रपति चुनाव के डेढ़ माह पहले दोनों दलों के बीच नई सियासी जंग शुरू हो गई है। ओबामा ने वीटो को लेकर सफाई दी कि उनकी सहानुभूति पीड़ित परिवारों के साथ है, लेकिन यह बिल अमेरिकी सरकार और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। इससे दूसरे देश भी आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाकर अमेरिकी सरकार और अधिकारियों पर मुकदमे ठोक सकते हैं। अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट और निचले सदन प्रतिनिधि सभा से 9/11 की 15वीं बरसी से कुछ दिन पहले दोनों दलों के समर्थन से यह विधेयक पारित हुआ था। इसे जस्टिस अगेंस्ट स्पांसर्स ऑफ टेरोरिज्म एक्ट का नाम दिया गया था। ओबामा सरकार शायद इसलिए पीछे हटी क्योंकि कोर्ट में घसीटे जाने पर जवाबी कदम उठाने की सऊदी सरकार ने धमकी दी है। सऊदी ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में निवेश किए गए अरबों डॉलर निकालने की धमकी दी। जब तक आतंकी संगठन की फंडिंग बंद नहीं होती कुछ नहीं हो सकता।

-अनिल नरेन्द्र

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