Wednesday 7 September 2016

कश्मीर में कर्फ्यू की भारी कीमत अवाम को चुकानी पड़ रही है

कश्मीर में कर्फ्यू के 57 दिन हो गए हैं। देश ही नहीं, संभवत दुनिया के किसी भी हिस्से में इतना लंबा कर्फ्यू शायद ही लगा हो। श्रीनगर में 15 लाख लोग आठ जुलाई से कर्फ्यू और केंटजिना तारों के कब्जे में हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। दुकानें, व्यापार ठप हो चुके हैं। नौकरी वाले बेबस होकर घरों में बैठे हैं। अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 6500 जवान, 4000 आम कश्मीरी घायल हो चुके हैं। कश्मीर में इस सीजन में प्रतिदिन 12 हजार के करीब पर्यटक आते थे। लेकिन अब 200 के करीब मुश्किल से आ रहे हैं। आठ जुलाई को सबसे ज्यादा 16367 यात्रियों ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए, हिंसा भड़कने के बाद संख्या रोज घटती गई। इसी कारण इस बार पिछले 10 सालों में सबसे कम 2,20,490 लोगों ने ही दर्शन किए। जम्मू जिले में 300 होटल, लांज, सब के सब खाली हैं। करीब 250 करोड़ का नुकसान हो चुका है। कटरा में भी होटल, लांज खाली हैं। जम्मू के होटलों को 100 करोड़ का नुकसान और कटरा में कुल 500 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। कश्मीर में बिजनेस ठप पड़ा हुआ है। 6500 करोड़ रुपए का नुकसान कश्मीर के बिजनेस को हुआ है यानि हर दिन लगभग 130 करोड़ रुपए का। इंडस्ट्रीयल सेक्टर को रोज 80 करोड़ रुपए का नुकसान यानि कुल 4000 करोड़ रुपए का नुकसान। लोन व बिजली का बकाया चुकाने में राहत की मांग उठने लगी है। बैंकों के बंद होने से व्यापारियों का 1000 करोड़ रुपए का पेमेंट अटका हुआ है। रोज कमाने-खाने वालों को तो दाल-रोटी के लाले पड़े हुए हैं। 28 पेट्रोल-डीजल टैंकरों पर भीड़ और पत्थरबाज हमला कर चुके हैं। जिसके चलते टैंकर वाले हड़ताल कर चुके हैं। हर दिन घाटी में 20 लाख लीटर पेट्रोल-डीजल की जरूरत होती है। कश्मीर में सब्जियां बाहर से आती हैं। इनकी सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। गांवों से हर रोज 400 लीटर दूध डाउन टाउन से आता था, अब बमुश्किल आधा आ रहा है। नौ जुलाई से प्रीपेड फोन पर आउटगोइंग बंद है। 15 अगस्त के आसपास कई बार इनकमिंग बंद कर दी गई। मोबाइल इंटरनेट डाटा पूरी तरह से बंद है। ब्रांडेड इंटरनेट बहरहाल चल रहा है। जहां तक बच्चों की पढ़ाई का सवाल है 31 जुलाई को 10 हजार बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जॉम में शामिल हुए। श्रीनगर के रैनावाड़ी की मस्जिद में कर्फ्यू स्कूल खुला, 200 छात्रों को पढ़ाने 20 वालंटियर टीचर आए। 5912 में से केवल 1704 उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा और 4888 प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शामिल हुए। यूनिवर्सिटी में परीक्षा रद्द कर दी गई है। कश्मीर में शादियों का सीजन ईद-उल-फितर के बाद छह-सात जुलाई से शुरू होना था। हर साल जुलाई से अगस्त के बीच 10 हजार शादियां होती थीं। 90 फीसद शादियां कर्फ्यू की वजह से टल गईं। आखिर यह भारी कीमत किसको चुकानी पड़ रही है? कश्मीरी अवाम को।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment