Thursday 15 September 2016

सुशासन कुमार उर्फ नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री

जमानत पर छूटने के बाद राजद के पूर्व सांसद और सीवान के बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन का बाहर आने पर जिस ढंग से स्वागत हुआ और जो उनके बयान हैं उसमें सुशासन कुमार उर्फ नीतीश कुमार की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक ही है। इस बाहुबली ने शनिवार को 11 साल जेल में रहने के बाद बाहर आते ही पार्टी अध्यक्ष लालू पसाद यादव की जमकर तारीफ कर डाली। राजद की राष्ट्रीय समिति के सदस्य शहाबुद्दीन को लालू का करीबी माना जाता है। शहाबुद्दीन ने कहा कि उनके लिए लालू पसाद नेता हैं। हम सब उनके पीछे पूरी मजबूती से खड़े हैं। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं पर राष्ट्रीय नेता नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके नीतीश कुमार से कभी भी अच्छे संबंध नहीं रहे। लालू पसाद की तारीफ करते हुए नीतीश कुमार को जिस तरह परिस्थितियों का मुख्यमंत्री बताया वह एक तरह से बिहार में सत्ता राजनीति की अंदरूनी सच्चाई ही है। विधानसभा चुनाव में जदयू की सीटें राजद से कम होने के बावजूद नीतीश मुख्यमंत्री बने, क्योंकि उन पर सहमति पहले बन चुकी थी। इसके अलावा लालू खुद तो मुख्यमंत्री बन नहीं सकते थे और फिर राजद की मजबूरी यह भी थी कि उसके पास कोई वैकल्पिक विश्वसनीय चेहरा भी नहीं था। पर सरकार बनने के बाद से राजद जिस तरह अपनी ताकत बढ़ाने के अभियान  में जुटा हुआ है और जदयू को असहज भी करता रहा है, वह उसकी रणनीति का हिस्सा है। शहाबुद्दीन की रिहाई इस अभियान को और मजबूती देगा। बाहुबली के जेल में होने के कारण सीवान-छपरा-गोपालगंज में राजद का जो जनाधार घटा था, रिहाई के बाद अब वह घाटा पूरा हो जाएगा। दूसरी ओर सुशासन कुमार उर्फ नीतीश कुमार ने शहाबुद्दीन की बातों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन पर ऐसी बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता। पूरी दुनिया जानती है कि जनता ने उन्हें क्या मैनडेट दिया है? जनता ने उन्हें जो मैनडेट दिया है और वे उसी हिसाब से काम कर रहे हैं। उधर शहाबुद्दीन के सुर में सुर मिलाते हुए राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश पसाद सिंह ने भी नीतीश कुमार को नेता मानने से मना कर दिया। उन्होंने रविवार को दिल्ली में कहा कि जब गठबंधन बना तो इनके नेताओं ने फैसला किया कि नीतीश कुमार उसके नेता होंगे। इससे वह बिल्कुल सहमत नहीं थे। फिर भी गठबंधन ने निर्णय किया तो उन्हें मानना पड़ा। वहीं शहाबुद्दीन ने यह भी कहा कि राजद बड़ी पार्टी है और उसके पास ज्यादा सीटें हैं। परम्परा के मुताबिक बड़ी पार्टी का मुख्यमंत्री होता है। जहां तक शहाबुद्दीन का सवाल है तो 2005 में शहाबुद्दीन को जेल भेजने के पीछे नीतीश की सकियता थी, लेकिन वहीं नीतीश अब शहाबुद्दीन के खिलाफ वैसी कठोरता दिखा पाएं इसमें संदेह है। बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था से सुशासन कुमार के कामकाज पर पश्न उठते रहते हैं। बिहार में गठबंधन सरकार को अभी एक साल पूरा नहीं हुआ पर नीतीश की मुश्किल बढ़ती जा रही है।

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