Friday 23 September 2016

सपा में जंग थमी नहीं ये तो सीजफायर है

समाजवादी पार्टी की अंदरूनी जंग में युद्धविराम बेशक हो गया है पर अंदरखाते जंग जारी है। मुलायम सिंह यादव के फार्मूले को चाचा-भतीजा द्वारा स्वीकारने के बाद भी बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। सपा का संग्राम थमने की बजाय फिर तेज होता नजर आ रहा है। रविवार को रामगोपाल यादव के भांजे अरविन्द प्रताप यादव को पार्टी से निकालने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव ने टीम अखिलेश के सात कद्दावर युवा नेताओं को सोमवार को अनुशासनहीनता के आरोप में सपा से बर्खास्त कर दिया। इनमें तीन एमएलसी, तीन युवा संगठनों के अध्यक्ष और एक राष्ट्रीय अध्यक्ष शामिल है। इस कार्रवाई से आक्रोशित युवा नेताओं ने इस्तीफों को झड़ी लगा दी। शाम तक 250 से ज्यादा पदाधिकारियों ने इस्तीफे दे दिए। शिवपाल ने सभी के त्यागपत्र स्वीकार कर लिए। सारी लड़ाई की असल जड़ है टिकटों का बंटवारा कौन करेगा और पैसे का भी खेल है। बताया जा रहा है कि पार्टी का अध्यक्ष पद लिए जाने के बाद से आहत अखिलेश यादव को उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने टिकट बांटने का अधिकार दे दिया है। हालांकि अब तक समाजवादी पार्टी की तरफ से इस बात की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर मीडिया से अपने दर्द साझा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में पांच सालों तक काम करें हम, सरकार का रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जाएं हम और विधानसभा चुनाव का टिकट बांटने का अवसर उन्हें न दिया जाए? यूपी में अखिलेश और चाचा शिवपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई समझौते के फार्मूले पर ठंडी जरूर पड़ी है। पर बारीकी से देखा जाए तो इसमें शिवपाल को ज्यादा नुकसान हुआ है। शिवपाल के लिए पीडब्ल्यूडी जैसा बड़ा महकमा जाना घाटे का सौदा माना जा रहा है। पूर्व के महकमों में शिवपाल के पास चालू वित्त वर्ष 2016-17 में करीब 66,450 करोड़ रुपए का बजट आता। पीडब्ल्यूडी जाने के बाद यह आधे से भी कम 26,019 करोड़ रुपए रह गया है। पीडब्ल्यूडी का बजट 40,960.81 करोड़ का है। एक अन्य मुद्दा है लखनऊ से बलिया को जोड़ने के लिए 19437 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के बहुप्रतिष्ठित शिलान्यास से पहले कंस्ट्रक्शन कंपनियों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ठेका हासिल करने के लिए होड़ थी। अखिलेश चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही इसका शिलान्यास करना चाहते हैं। पार्टी के नवनियुक्त महासचिव अमर सिंह अपने पसंदीदा ठेकेदारों को यह ठेका दिलाना चाहते हैं और भी कई स्कीमें हैं जो अमर सिंह अपने आदमियों को दिलाना चाहते हैं। यह सब चुनाव फंड इकट्ठा करने के नाम पर हो रहा है। जंग थमा नहीं, केवल सीजफायर हुआ है।

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