उड़ी में सेना की काला ब्रिगेड पर हुए आतंकी हमले के
बाद लगता है कि सैन्य पशासन ने घुसपैठियों को खोजने और मारने का अभियान चालू कर दिया
है। एलओसी के पहाड़ों पर बर्फ के गिरने से पहले पाक सेना अपने जहां-तहां छुपे पड़े सभी आतंकियों को इस ओर
धकेलने को कितनी उतावली है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके भेजे आतंकियों
ने दो दिन पहले जिस उड़ी सेक्टर में 18 भारतीय जवानों को मौत
के घाट उतार दिया था वहीं से उसने मंगलवार
को आतंकियों के एक बड़े जत्थे को धकेलने का पयास किया। इस पयास
के लिए पाक सेना ने बाकायदा कवर फायर भी किया पर इस बार भारतीय सेना तैयार थी और हमारे
जवानों ने 10 आतंकियों को मार गिराया। इस आतंकी जत्थे में
18 से 20 आतंकी थे। अंतिम रिपोर्ट आने तक भारतीय
जवान इनकी खोज में लगे हैं और तभी दम लेंगे जब सारे आतंकी साफ न हो जाएं। खबर है कि
अपने मारे गए साथियों के शवों को पाने की खातिर पाक सेना उड़ी सेक्टर में गोलों की
बरसात भी कर रही है। उड़ी में सेना की ब्रिगेड पर इस कायराना हमले का पूर्व फौजियों
में बहुत गुस्सा है और वह सभी एक स्वर में इसका तगड़ा जवाब देने के हक में हैं। पूर्व
सेनाध्यक्ष जनरल एनसी विज का मानना है कि पूरी दुनिया के सामने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान
हर स्तर पर बेनकाब हो चुका है। सभी देश यह स्वीकार करने लगे हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद
की फैक्ट्री है। ऐसी स्थिति में अब केंद्र सरकार को पाक के खिलाफ सख्त से सख्त निर्णय
लेने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उनका दावा है कि केंद्र सरकार निर्णय ले,
पाकिस्तान घुटने के बल होगा। जम्मू-कश्मीर के उड़ी
स्थित सेना मुख्यालय पर हमला छोटी घटना नहीं है। यह सीधे-सीधे
देश को चुनौती है। उड़ी में सेना की एक बटालियन पर इस हमले से सेना के अन्य पूर्व अधिकारियों
ने पाकिस्तानी सरजमीं से हो रही आतंकी हरकतों से निपटने पे लिए सैन्य विकल्प खुला रखने
सहित पाकिस्तान के खिलाफ फौरन कार्रवाई की मांग की है। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) बीएम जसवाल ने कहा यदि कुछ स्थानों पर हमले
की जरूरत है तो हमें अवश्य ही अपना सैन्य विकल्प खुला रखना चाहिए। उत्तरी कमान के जीओसी
रह चुके जसवाल ने कहा कि जब तक पाकिस्तान
को भौतिक रूप से नुकसान नहीं होगा वह हमारी शराफत का सम्मान नहीं
करेगा। जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात में विशेषज्ञता रखने वाले
मेजर (सेवानिवृत्त) गौरव आर्य ने कहा-यह जानते हुए कि हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, पाकिस्तान
ऐसे आतंकी हमले (बार-बार) करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में समस्याओं को रावलपिंडी स्थित पाक
सेना मुख्यालय में सुव्यवस्थित रूप से गढ़ा गया है। हमें फौरन कार्रवाई करने की जरूरत
है। पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद किया जाए, इसे दिया गया सर्वाधिक
पसंदीदा मुल्क (एमएफएन) का दर्जा घटाया
जाए। दुनिया को यह संदेश जाना चाहिए कि हम गंभीर हैं। जैसा मैंने कहा कि भारतीय सेना
अब युद्ध स्तर पर घुसपैठियों को खोजो और मारो अभियान में जुट गई है। उड़ी क्षेत्र में
हमले के दो दिन बाद 20-25 घुसपैठियों के छिपे होने की सूचना मिली
थी। इनमें से अधिकांश गत सप्ताह ही गुलाम कश्मीर से इस तरफ आने में सफल रहे थे। बताया
गया है कि तलाशी अभियान को रोकने और लच्छीपोरा और उससे सटे इलाकों में छिपे घुसपैठियों
को सुरक्षित स्थानों की तरफ मौका देने के लिए पाकिस्तानी रेंजर्स ने अपराह्न
1.10 से भारतीय ठिकानों पर फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि यह फायरिंग आधे
घंटे बाद रुक गई पर इस इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी की पुष्टि जरूर हो गई। उड़ी
में 10 और नौगांव में एक आतंकी और उड़ी हमले में चार आतंकियों
को मारने से टोटल योग हो गया 15। अभी तो काफी हिसाब बराबर करने
की जरूरत है। जब तक एक के बदले 2 नहीं मारते हम चैन से न तो बैठेंगे
न बैठने देंगे। एक और बात हम इन आतंकियों के शवों को टीवी पर क्यों नहीं दिखाते?
अगर हम दिखाएंगे तो न केवल हमारी विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि सारे देश
का गौरव बढ़ेगा। आखिर यह आतंकी हैं इनके सफाए में हमें संकोच किस बात का है?
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