Wednesday 21 September 2016

उड़ी सैक्टर ही आतंकियों के निशाने पर क्यों?

रविवार तड़के 5.30 बजे सीमा पार से घुसे चार आतंकियों का उड़ी के सेना की 12 यूनिट की बेस पर फिदायीन हमला कोई साधारण हमला नहीं था। यह भारत के किसी भी सैन्य बेस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला था। इसमें हमने 18 जवान खो दिए और कई जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। दुखद बात यह है कि यह हमला अलर्ट के बावजूद हुआ। केंद्रीय गृह मंत्रालय के पिछले हफ्ते जारी अलर्ट में साफ तौर पर कहा गया था कि आतंकी हवाई अड्डों व सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। बड़ी संख्या में आतंकियों के घुसने की तैयारी की भी सूचना थी। इसके बावजूद आतंकी बेस को टारगेट करने में सफल रहे। घाटी में दो माह से जारी हिंसक प्रदर्शनों पर ही सबका ध्यान है। इससे आतंकवाद और घुसपैठ विरोधी ग्रिड प्रभावित हुई है। दो माह से आतंकरोधी अभियान करीब-करीब रुका हुआ था। यह भी एक कारण रहा। उड़ी का यह बेस कोई साधारण आर्मी बेस नहीं। 12वीं ब्रिगेड का यह मुख्यालय अहम है। एलओसी से सटे इस बेस में हथियारों का बड़ा जखीरा है। उड़ी मिलिट्री बेस भारतीय सेना के ब्रिगेड का मुख्यालय है। जहां हर समय करीब 13 हजार सैनिक रहते हैं। यह घाटी में सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकने में मददगार महत्वपूर्ण चौकियों में से एक है। इसके तीन तरफ नियंत्रण रेखा (एलओसी) है जिसके कारण इस पर हमला करना आसान हो जाता है। उड़ी का मिलिट्री बेस समतल भूमि पर बना है और एक तरफ से यह नियंत्रण रेखा से सिर्प छह किलोमीटर दूर है। वहीं एलओसी के उस तरफ पाकिस्तानी सेना की पोस्ट ऊंचे पहाड़ों पर बनी हैं जिसके कारण पाक सेना ऊंचाई से लगातार इस बेस पर नजर रखती है। एलओसी पर इस साल जून तक घुसपैठ की 90 घटनाएं हो चुकी हैं जबकि 2015 में 29 घटनाएं हुई थीं। पिछले एक माह में ही सेना और आतंकियों के बीच चार मुठभेड़ हो चुकी हैं। पाकिस्तान ने 260 बार से अधिक संघर्ष विराम तोड़ा है। 2016 में ही कई हमले हुए हैं। 11 सितम्बर को पुंछ हमले में तीन दिनों तक मुठभेड़ चली। इसमें छह जवान शहीद हो गए और एक नागरिक मारा गया। चार आतंकी भी मारे गए। उससे एक दिन पहले बारामूला में हमला हुआ। तीन स्थानों पर घुसपैठ की कोशिश की गई जिसमें जवानों ने चार आतंकियों को मार गिराया। 17 अगस्त को श्रीनगर-बारामूला हाइवे के पास सेना के काफिले पर हमला हुआ। इसमें आठ लोग मारे गए और 22 घायल हुए। 15 अगस्त को श्रीनगर हमले में एक सीआरपीएफ कमांडेंट शहीद हुए थे। 25 जून को पंपोर में सीआरपीएफ पर हमले में आठ जवान शहीद हुए और 20 घायल। तीन-चार जून को अनंतनाग में बीएसएफ के तीन जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान शहीद हुए। दो जनवरी को ही बहुचर्चित पठानकोट हमला हुआ था जिसमें छह जवान, एक सुरक्षाकर्मी व एक नागरिक की मौत हुई थी। हमलावरों ने पठानकोट की तरह उड़ी हमले को अंजाम दिया। चारों आतंकी पूरी तैयारी व इंटेलीजेंस के साथ आए थे। पठानकोट में भी पाकिस्तान से आए जैश--मोहम्मद के आतंकियों ने सुबह के वक्त जवानों की ड्यूटी की अदला-बदली के वक्त का फायदा उठाया था। उड़ी में भी ऐसा ही समय चुनने की बात सामने आई है। पठानकोट की तरह ही इस बार भी आतंकी ढेर सारे हथियारों से लैस थे। उड़ी हमले के वक्त सभी आतंकी सेना की वर्दी में थे। इससे पहले आतंकियों ने जितने भी बड़े हमले किए हैं, उनमें आतंकी सेना की वर्दी में ही थे, जैसे संसद पर हमला। यह इत्तेफाक है कि अब तक हुए दो सबसे बड़े आतंकी हमले एनडीए के कार्यकाल में हुए हैं-संसद पर हमला और उड़ी में ताजा हमला। उड़ी में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला महज एक संयोग है या पाक सेना व आईएसआई का भारत सरकार को संदेश देने का तरीका? इसका पता तो शायद ही चल पाए, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और पाकिस्तान के पहले से बिगड़ चुके रिश्ते को यह हमला और खराब कर देगा। भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के ठीक एक दिन बाद हुए इस हमले को कई जानकार पाक खुफिया एजेंसी व सेना और पीएम नवाज शरीफ के बीच चल रहे टकराव से जोड़ कर भी देख रहे हैं। दरअसल पीएम मोदी ने ठीक नौ महीने पहले 25 दिसम्बर 2015 को नवाज शरीफ के जन्मदिन पर अचानक लाहौर स्थित उनके घर पर पहुंच कर भारत-पाक रिश्ते की बेहतरी की उम्मीद जताई थी जबकि शनिवार (17 सितम्बर 2016) को मोदी के जन्मदिन पर शरीफ ने न तो मोदी को कॉल किया और न ही कोई संदेश भेजा। इस तरह से मोदी ने पीएम पद की शपथ लेने के साथ ही पाक से व्यक्तिगत तौर पर रिश्ते बनाने की जो कोशिश की थी उसका भी अब इतिश्री हुआ माना जा रहा है। पाकिस्तान ने इस बार भी अपनी आदत के अनुसार भारत के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। साथ ही कार्रवाई करने योग्य खुफिया जानकारी मांगी है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने कहा कि दोनों देशों के डीडीएमओ ने हॉटलाइन पर चर्चा की। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक बाजवा ने दोहराया कि घुसपैठ नहीं हो सकती क्योंकि दोनों ओर सख्त इंतजाम हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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