Sunday, 18 September 2016

मिल ही गई शहाबुद्दीन की जमानत को चुनौती

पूर्व सांसद व सीवान के बाहुबली शहाबुद्दीन की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। बेशक वह जमानत पर फिलहाल जेल से बाहर आ गए हैं पर यह रिलीफ अस्थायी हो सकती है। शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सोमवार को सुनवाई करेगा। वकील प्रशांत भूषण की याचिका को सोमवार की सूचीबद्ध करने के चीफ जस्टिस के आदेश के कुछ ही देर बाद बिहार सरकार ने भी कुख्यात सरगना को फिर से जेल भेजने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया। तीनों बेटों की हत्या का दर्द सह रहे चन्द्रशेखर प्रसाद की ओर से प्रशांत भूषण ने यह याचिका दायर की है। चन्द्रशेखर प्रसाद ने याचिका में कहा है कि शहाबुद्दीन के खिलाफ 58 केसों में से आठ में वह अपराधी करार दिया जा चुका है। इनमें से दो में उम्रकैद की सजा हुई है। इसके बावजूद रिहा कर दिया गया है। उधर बिहार सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि पटना हाई कर्ट ने फरवरी में दिए गए अपने ही फैसले को नजरंदाज कर दिया जिसमें ट्रायल कोर्ट से कहा गया था कि वह राजीव रोशन हत्याकांड का मुकदमा नौ माह में पूरा करे। पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन न्याय की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। आशा रंजन ने आरजेडी के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन और लालू प्रसाद यादव के पुत्र व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव पर उनके पति के हत्यारों को शरण देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। आशा रंजन ने याचिका में न सिर्प सीबीआई को तत्काल मामला अपने हाथ में लेने का निर्देश मांगा है, बल्कि राजदेव हत्याकांड को बिहार से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की है। इतना ही नहीं, अपनी और बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा जताते हुए बिहार के बाहर सुरक्षित आवास दिलाने का अनुरोध भी किया है। पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में सीबीआई ने सीवान में दबिश दी है। जांच वहीं से शुरू हुई है, जहां बिहार पुलिस की एसआईटी ने छोड़ी थी। सीवान पहुंचते ही सीबीआई टीम ने राजदेव रंजन हत्याकांड में जेल में बंद लड्डन मियां और अन्य पांच आरोपियों से पूछताछ की। उधर बिहार गठबंधन सरकार में अनिश्चितता का भाव नजर आने लगा है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यही स्टैंड लिया है कि कानून अपना काम करेगा और लालू जी ने अपने आपको पूरे प्रकरण से दूर रखने का प्रयास किया है। पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निश्चित रूप से गठबंधन सरकार पर अतिरिक्त दबाव बनेगा। शहाबुद्दीन जैसा बाहुबली भी चुप बैठ कर तमाशा देखने वाला नहीं। कुल मिलाकर पहले से ही विस्फोटक बनी बिहार में स्थिति में भी और आग लग सकती है। सबसे ज्यादा दबाव नीतीश कुमार पर होगा।

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