पाकिस्तान
की पार्टी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट
(एमक्यूएम) के नेता अल्ताफ हुसैन इन दिनों फिर
चर्चा में हैं। देश के सबसे बड़े शहर कराची में अकसर उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगता
रहता है। बेशक पाकिस्तान की आंखों में वह किरकिरी बने हुए हैं पर पाकिस्तान की सियासत
में अल्ताफ हुसैन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। माना जाता है कि एमक्यूएम मुहाजिरों
की अगुवाई करती है। उर्दूभाषी ये मुसलमान 1947 के बंटवारे में
भारत से पाकिस्तान जाकर बसे थे। सत्ता के गलियारों में यह कौम (मुहाजिर) 50 और 60 के दशक में काफी
असरदार थी। लेकिन पाकिस्तान में बाद में पंजाबी और सिंधी समूह इन पर हावी हो गए। आज
पाकिस्तान में सबसे ज्यादा असरदार पंजाबी समूह है। सिंधी तो शुरू से ही मुहाजिरों से
नफरत करते थे। 1947 के बाद सिंध से जो हिन्दू भारत चले गए,
उनकी जगह मुहाजिर आ गए। बाद में कराची में पश्तूनों की बढ़ती आबादी ने
भी मुहाजिरों को चुनौती दी। इसके बाद अल्ताफ ही ऐसे पहले नेता रहे जिन्होंने मुहाजिरों
के मुद्दों को उठाया। उन्होंने 1984 में मुहाजिर (प्रवासी) कौमी मूवमेंट का गठन किया, जो बाद में मुत्ताहिदा (संयुक्त) कौमी मूवमेंट में तब्दील हो गया। अपनी सक्रियता के शुरुआती दिनों में अल्ताफ
मुहाजिरों के लिए अलग प्रांत चाहते थे। कराची में 1985-86 में
दंगा हुआ तो इसमें उनकी पार्टी की भूमिका पर अंगुली उठी। दंगे के बाद उनका दल शहर में
काफी ताकतवर संगठन बनकर उभरा, लेकिन पंजाबी व पाक सुरक्षा एजेंसियां
उनके पीछे पड़ गईं। दबाव के चलते अल्ताफ पाकिस्तान छोड़कर लंदन में उन्होंने राजनीतिक
शरण ले ली और 1992 से वह लंदन में रह रहे हैं। वह
2002 में ब्रिटिश नागरिक भी बन गए। वह लंदन स्थित अपने दफ्तर से ही मूवमेंट
चलाते हैं। पाकिस्तान में अल्ताफ के खिलाफ कितने केस दर्ज हैं, इनका कोई ब्यौरा हासिल नहीं है। तमाम विवादों के बावजूद अल्ताफ का राजनीतिक
वजूद मजबूत है। पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में इसके 24 सदस्य
हैं। हाल ही में कराची के मेयर पद के लिए चुनाव हुआ तो एमक्यूएम उम्मीदवार वसीम अख्तर
ने रिकार्ड जीत दर्ज की। हाल में अल्ताफ ने कहा कि पाकिस्तान दुनिया के लिए कैंसर है
और यह आतंकवाद का केंद्र है। सुरक्षा एजेंसियों ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज
कर लिया। पार्टी के बड़े नेताओं को कराची स्थित मुख्यालय से उठाकर सलाखों के पीछे डाल
दिया गया। पाकिस्तान में यह आरोप भी लगाया जाता है कि एमक्यूएम की फंडिंग भारत से होती
है। वैसे एमक्यूएम की सियासी ताकत की नींव भारत विरोध में पड़ी थी। मुहाजिर भारत के
विरोध में पाकिस्तान गए थे। अल्ताफ भारत-पाक के संबंधों में बेहतरी
की पैरवी कर चुके हैं। माना जाता है कि पाक में एमक्यूएम ही ऐसी पार्टी है जो सेक्यूलरिज्म
का खुलकर सपोर्ट करती है। कश्मीर में जेहाद और आतंकी हिंसा का विरोध भी खुलकर करती
है।
-अनिल नरेन्द्र
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