Saturday 10 September 2016

क्या अखिलेश यादव खुले हाथों से काम कर सकते हैं?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह जानते हैं कि 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव अगर समाजवादी पार्टी को दोबारा जीतना है तो वह लगातार डेवलपमेंट यानि विकास के नाम पर ही जीता जा सकता है। आमतौर पर अखिलेश की व्यक्तिगत छवि अच्छी है और वह बहुत कुछ करना चाहते हैं पर पार्टी के अन्य नेता जिनमें उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं अपने ही एजेंडे पर चल रहे हैं और पार्टी को धरातल पर धकेल रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहली बार के मतदाताओं को लुभाने के लिए एक बड़ा दांव फेंका है। सरकार की ओर से सोमवार को एक बयान जारी कर स्मार्टफोन वितरण योजना का ऐलान कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि एक जनवरी 2017 को 18 साल की उम्र पूरा करने वाले मैट्रिक पास आवेदक इस योजना के लाभार्थी बन सकते हैं। लाभार्थियों के लिए दो लाख की अधिकतम आय सीमा की शर्त भी रखी गई है। समाजवादी स्मार्टफोन नाम से शुरू हो रही इस योजना के लिए एक माह के भीतर ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो जाएगा। यह स्मार्टफोन चुनाव के बाद 2017 की दूसरी छमाही में दिया जाएगा। अखिलेश ने कहा कि स्मार्टफोन के लाभार्थियों के चयन का तरीका पूरी तरह से पारदर्शी होगा। यह व्यवस्था की जा रही है कि स्मार्टफोन सीधे लाभार्थी के घर भेजा जाए ताकि किसी प्रकार के भ्रष्टाचार की संभावना न रहे पर जैसा मैंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस समय एक नहीं, कई मुख्यमंत्री हैं और यह बात खुद उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने स्वीकार की है। मिशन यूपी 2017 के मामले पर एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में शिरकत करने आए शिवपाल ने कहा कि मिशन 2017 का चेहरा अखिलेश यादव होंगे, यह पार्टी का निर्णय है। शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार में कई मुख्यमंत्री हैं, इस बात से इंकार नहीं है। लेकिन फैसला सिर्प नेताजी मुलायम सिंह ही लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई मुख्यमंत्री होना कोई गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ फैसले सामूहिक रूप से ले लिए जाते हैं, लेकिन उस पर मुहर सिर्प राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ही होती है। हालांकि उन्होंने परिवार में किसी भी तरह के मनमुटाव से इंकार किया। शिवपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार के जो भी फैसले होते हैं उसके लिए अखिलेश यादव सक्षम हैं। अखिलेश को सरकार चलाने का अनुभव हो गया है। कानपुर में उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव में क्रिमिनल को टिकट नहीं दिया जाएगा। जिन लोगों को प्रत्याशी बनाया जाएगा उनसे एफिडेविट लिया जाएगा। यह सब तो ठीक है शिवपाल जी पर क्या आप अखिलेश को खुले हाथों से काम करने की छूट देने को भी तैयार हैं?

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