Thursday, 7 January 2021

गए तो थे जयराम की अंत्येष्टि पर 25 लोगों की और करनी पड़ी

उत्तर प्रदेश के मुरादनगर की संगम विहार कालोनी उस श्मशान घाट से महज सौ मीटर दूर है जहां हुए हादसे ने इस पूरी कालोनी को ही श्मशान घाट सा शोकाकुल बना दिया। इस कालोनी की जिस गली के आखिर में 65 वर्षीय जयराम का घर है। उस गली में उनके अलावा चार अन्य घरों के भी चिराग उजड़ गए हैं और मातम पूरी गली में ही नहीं बल्कि पूरे इलाके में छाया हुआ है। हादसे के शिकार लोग जयराम के ही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान घाट गए हुए थे जिनका रविवार दिन में निधन हो गया था। मोहल्ले के लोगों और रिश्तेदारों समेत करीब सौ लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। जयराम के अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान स्थल में छत गिर गई और मलबे में 24 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा जितना स्तब्ध कर देने वाला है, उतना ही दुखद और शोक का कारण। यह माना जा रहा है कि निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की शिकायतों के बावजूद समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई। करीब दो महीने पहले ही यह छत तैयार हुई थी और रविवार को फल विक्रेता जयराम के अंतिम संस्कार में आए बाकी 100 लोग तेज बारीश से बचने के लिए उसके नीचे खड़े हुए थे कि भरभराकर यह छत गिर गई। जिसमें कई लोग जिंदा दफन हो गए। यह घटना कितनी हृदय विदारक थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारी भरकम मलबे के नीचे दबे कई मृतकों और घायलों को निकालने के लिए पुलिस के साथ राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमों को कई घंटों मशक्कत करनी पड़ी। बेशक पुलिस ने मुरादनगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी सहित तीन लोगों को गैर इरादतन हत्या सहित कई धाराओं में गिरफ्तार किया है, लेकिन यह हादसा दिखाता है कि सरकारी निर्माण की आड़ में भ्रष्टाचार करने वालों ने श्मशान घाट तक को नहीं बख्शा। हैरत इस बात की है कि श्मशान स्थल पर शेड बनाए जाने के दौरान ही निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की कई स्तरों पर शिकायतें की गई थीं, मगर उन पर ध्यान नहीं दिया गया। यदि यह सच है कि यहां हुए निर्माण की गुणवत्ता की जांच लंबित थी, तो यह और भी गंभीर मामला है। परिसर बिना गुणवत्ता को परखे श्मशान स्थल पर आने वाले लोगों के लिए क्यों खोल दिया गया था? श्मशान घाट में जिस गलियारे की छत ढही है, उसका निर्माण कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ था। इस गलियारे को बनाने में करीब 55 लाख रुपए की लागत आई थी और अभी दो हफ्ते पहले ही इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। परिसर और प्रवेश द्वार से लेकर सीधे कुछ दूर तक इस गलियारे का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि लोगों को छाया मिल सके, लेकिन यह छत खुद कुछ घंटों की लगातार बारिश भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और ढह गई। मलबे से लोगों को निकालने के बाद मलबे में फंसी चप्पलें, जूते, शॉल और कपड़े घटना की भयानकता को बयां कर रहे हैं। दूसरी ओर मलबे में दिख रहीं ईंटें, सीमेंट और बालू निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही और भ्रष्टाचार की कहानी सुना रहे हैं। श्मशान घाट के बाहर आमीन ने घटना के बारे में बताया ऐसा लगा कि आसपास कहीं बम फट गया है। लेकिन उसके बाद चीख-पुकार सुनाई पड़ी तो यह देखा यह हादसा है न कि कोई बम फटा है। घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी व अन्य अफसरों को तुरन्त पहुंचने के निर्देश दिए और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की। लोगों में इस बात को लेकर बेहद गुस्सा स्वाभाविक है कि सरकारी लापरवाही ने इतने लोगों की जान ले ली।

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