Thursday 21 January 2021

आंदोलन को तोड़ने की हो रही हैं कोशिशें

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान आंदोलन को लगभग दो महीने होने को जा रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बाद अन्य राज्यों के किसानों के आंदोलन से जुड़ने से आंदोलन अब देशव्यापी रूप ले चुका है। किसान भी तीनों कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी को कानूनी अधिकार दिए जाने की मांग पर अडिग हैं। कई दौर की वार्ता भी विफल रही है। आंदोलनरत नेताओं का आरोप है कि सरकार के अधिकारियों व अवांछित तत्वों की ओर से हमारे आंदोलन को कमजोर करने की तमाम कोशिश की जा रही हैं, लेकिन सुनवाई के बगैर किसान पीछे नहीं हटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि जयपुर-दिल्ली हाइवे पर धरने पर बैठे किसानों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। इधर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा के अलावा सुरेंद्र सिंह, पलविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह को भी 17 और 18 जनवरी को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया था। एनआईए की ओर से मामले में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में फंड भी इकट्ठा किया जा रहा है। इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक तत्व लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बोना चाहते हैं। यह भी कहा गया है कि यह समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे हैं और उनकी भर्ती कर रहे हैं। उधर सिरसा ने कहा कि उन्हें कम समय में वॉट्सएप पर नोटिस मिला है, सिरसा ने साफ किया कि एजेंसी की ओर से उन्हें तलब किए जाने से संबंधित कोई औपचारिक सूचना अभी तक नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने (सरकार) लोगों और राजनेताओं और फिर सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से हम (किसानों) पर दबाव बनाने की कोशिश की। अब वह एनआईए का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम इस तरह की रणनीति से न तो डरने वाले हैं और न ही झुकने वाले हैं। उधर भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने हलफनामे में संगठन ने केंद्र सरकार की एक याचिका को भी खारिज करने की मांग की है। याचिका में केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस के जरिये 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च या किसी अन्य प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ इन पर 18 मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी।

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