Sunday, 31 January 2021
शवों को अंतिम हक दिलाने वाले शंटी को पद्मश्री
भारतीय संस्कृति में संस्कार अहम रखते हैं। दरअसल यह संस्कार धर्म ही नहीं, राष्ट्र को भी एक सूत्र में बांधते हैं। मानव जीवन के आखिरी पड़ाव अंतिम संस्कार के बारे में हर संस्कृति व समाज में माना जाता है कि यह मृतक के विश्वास के अनुरूप स्वजनों के हाथों सम्पन्न हों। कोरोना महामारी की शुरुआत में एक वक्त ऐसा भी आया जब संक्रमितों के अंतिम संस्कार से अपनों ने ही हाथ खींच लिया। ऐसे वक्त में जिनका कोई नहीं था उनका अंतिम संस्कार उनके विश्वासों के अनुरूप किया गया। ऐसे ही लोगों पर आधारित है तंत्र के गण श्रृंखला ही आखिरी कड़ी...। कोरोना काल में लोगों ने ऐसे भी दिन देखे जिनकी कल्पना करना मुश्किल है। शवों को कंधा परिवार के सदस्य और जानकर लोग देते हैं, लेकिन जब दिल्ली में कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई और लोगों की मौत होने लगी तो परिवार के सदस्यों ने भी दूरी बना ली। ऐसे में शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी आगे आए। बेटे ज्योत जीत और संस्था के सदस्यों के साथ मिलकर वह अब तक कोरोना से जान गंवाने वाले 965 मरीजों के शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचा चुके हैं। ज्यादातर के अंतिम संस्कार भी अपने हाथों से किए। शहीद भगत सिंह सेवा दल करीब 26 वर्षों से एम्बुलैंस की निशुल्क सेवा उपलब्ध करवा रहा है। कोरोना संक्रमण की शुरुआती दौर में तो मरीजों के घर से अस्पताल और अस्पताल से घर पहुंचाने का जिम्मा उठाया। मई 2020 में जब अस्पतालों में मौतों के मामले बढ़े तो सेवा दल की तरफ से सात एम्बुलैंस शवों को अंतिम स्थान तक पहुंचाने में लगा दी गई। शंटी बताते हैं कि उस समय परिवार के लोग शमशान स्थल पर भी नहीं पहुंच रहे थे। यह देखकर काफी दुख होता था। इससे हमारी इच्छाशक्ति और मजबूत हो गई और बाद में 12 एम्बुलैंस शवों को ढोने में लगा दी गईं। धीरे-धीरे लोगों की मदद से बेड़े में 18 एम्बुलैंस हो गईं। साथ ही आठ मोर्चरी बॉक्स भी तैयार किए गए, ताकि परिजन के इंतजार में शव खराब न हों। इस दौरान जिंतेंद्र सिंह शंटी और उनका पूरा परिवार खुद भी कोरोना की चपेट में आ गया। उनके एक एम्बुलैंस चालक मोहम्मद आरिफ खां ने तो अपनी जान तक गंवा दी। वह शुरू से ही एम्बुलैंस के जरिये मरीजों की सेवा कर रहे थे। इसके बावजूद संस्था के सदस्यों के जरिये सेवा जारी रही। कोरोना मरीजों की सेवा और उनकी मौत के बाद उन्हें शमशान घाट पहुंचाने वाले समाज सेवक जितेंद्र सिंह शंटी को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित होने पर हम भी उन्हें बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह इसी तरह जनता की सेवा करते रहें। भगवान उन्हें लंबी उम्र दे ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा कर सकें।
-अनिल नरेन्द्र
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