Saturday, 2 January 2021
पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा जेलर चीन है
पत्रकारों को सजा देने के मामले में चीन सबसे आगे है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। चीन में 47 पत्रकारों को जेल में डाला गया है, जिनमें से तीन कोरोना पर सरकार के कदमों से जुड़ी खबरें देने के कारण जेल गए हैं। दुनियाभर में अपने काम की वजह से इस माह की शुरुआत में 250 पत्रकार जेल में बंद थे। तीन दर्जन ऐसे पत्रकार जेल गए, जिन पर फर्जी खबरें देने का आरोप है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में पत्रकारों के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई है। इसके बाद तुर्की और मिस्र हैं। मिस्र में 27 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा है, जिनमें से कम से कम तीन को कोविड-19 महामारी से जुड़ी खबरों के लिए जेल भेजा गया। वहीं मिस्र और होंडुरस में जेल में संक्रमित होने से पत्रकारों की मौत तक हो गई। बेलारुस और इथोपिया में असंतोष होने के दौरान कई पत्रकारों की गिरफ्तारी हुई। कमेटी ने कहा कि यह लगातार पांचवां साल से ऐसा है, जब कम से कम 250 पत्रकार हिरासत में हैं, जो कि सरकारों के दमनकारी कदमों को दर्शाते हैं। कमेटी ने बताया कि जेल जाने वाले पत्रकारों में से 36 महिला पत्रकार भी हैं। अमेरिका प्रेस फ्रीडम एक्ट के अनुसार इस महीने की शुरुआत में अमेरिका में किसी पत्रकार की न तो हत्या हुई है और न ही कोई अभी जेल में है। लेकिन 2020 में 110 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और उन पर आपराधिक आरोप लगाए गए। ब्लैक लाइफ मैटर आंदोलन से सबसे ज्यादा पत्रकारों की गिरफ्तारी हुई। कमेटी ने इस बात पर भी चिन्ता जताई है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फर्जी खबरों को लेकर बार-बार दिए गए बयान से अन्य देशों के अधिनायकवादी नेता प्रभावित हो रहे हैं। पिछले कई वर्षों के मुकाबले अब ज्यादा पत्रकार जेल में हैं। कमेटी ने बताया कि 2005 में 131 और 2000 में यह संख्या 92 थी। पत्रकार सुरक्षा समिति की रिपोर्ट के अनुसार इस साल भारत में चार पत्रकार जेल में बंद किए गए। वहीं दो पत्रकारों की मौत हो गई। इनमें यूपी में एक पत्रकार के जलकर मरने और असम में हिट एंड रन में एक अन्य पत्रकार की मौत शामिल है। समिति के एक पदाधिकारी कोर्टनी राडसश ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से इस साल संघर्ष क्षेत्रों में पत्रकारों की संख्या कम है, जहां वह संघर्ष का शिकार हो सकते हैं। इस साल अब तक कुल 29 पत्रकार मारे जा चुके हैं, जो पिछले साल से ज्यादा हैं। पिछले साल 26 पत्रकारों की हत्या हुई थी।
-अनिल नरेन्द्र
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment