Saturday 16 January 2021

जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं

किसान नेताओं ने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मंगलवार को स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वह अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर रोक लगाई है, उनके आंदोलन पर नहीं। किसान नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वह किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते और वह 26 जनवरी को परेड भी निकालेंगे। 13 जनवरी को लोहड़ी पर किसानों ने तीनों कानूनों की प्रतियां भी जलाईं। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल को रोक लगा दी पर साथ-साथ किसानों से बातचीत के लिए एक चार मैंबर कमेटी बना दी। पर किसानों ने स्पष्ट कह दिया है कि यह कमेटी सरकार और उसके तीनों कानूनों के पक्षधर है और इसके सदस्य कृषि कानूनों की वकालत सार्वजनिक रूप से करते रहे हैं। हम ऐसी कमेटी के सामने बातचीत के लिए नहीं जाएंगे। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि कानून वापसी तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। किसान संगठनों ने 26 जनवरी के प्रोटेस्ट पर भी अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। किसानों का कहना है कि गणतंत्र दिवस पर हम शांतिपूर्ण रैली निकालेंगे। कोर्ट को भी इस मामले में गुमराह किया गया है। हम साफ कर दें कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं और किसी भी तरह की हिंसा स्वीकार नहीं करेंगे। किसानों ने कहा कि कानूनों के अमल पर रोक अंतरिम राहत है, पर यह हल नहीं है। किसान संगठन इस उपाय की मांग नहीं कर रहे थे, क्योंकि कानूनों को तो कभी भी लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि कई ताकतों ने कमेटी के गठन को लेकर कोर्ट को गुमराह किया है। कमेटी में शामिल लोग वो हैं, जो इन कानूनों को समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं और लगातार इन कानूनों की वकालत करते रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि हम इस समिति की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे। ऐसी कोई याचिका कोर्ट में नहीं दी गई है जिसमें कोई समिति बनाने को कहा गया हो। आगे कहा कि कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाई है, जो कभी भी हटाई जा सकती है। इसके आधार पर आंदोलन खत्म नहीं किया जा सकता, यह सभी किसान विरोधी कानूनों के समर्थन में है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस समिति से बात करना चाहें तो कर लें, लेकिन किसान उनसे बात नहीं करेंगे। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ और मोर्च के वरिष्ठ नेता हरिंदर लोखवाल ने भी कहाöहमारा प्रदर्शन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर है, जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी भी नहीं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि किसानों की लगातार हो रही मौत के सिलसिले को देखकर भी सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है, किसानों की दिल्ली की सीमाओं समेत देश के अन्य हिस्सों में मौत हो रही हैं। अब तक यह आंकड़ा 120 तक पहुंच गया है। यह महज संख्या नहीं है, इनके न होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है।

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