Friday 22 January 2021

36 से शिखर, क्रिकेट के नए नायकों का आगाज हो चुका है

ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट सीरीज में भारत ने जो कमबैक किया, वह 144 साल के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन गया है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने भी 1902 में 36 पर आलआउट होने के बाद सीरीज जीती थी। लेकिन वह अधिकतम 299 रन बना पाई थी। भारत 329 रन बनाकर जीता है। इस लिहाज से यह अब तक की सबसे बड़ी कमबैक जीत है, खास बात यह भी है कि यह जीत बड़े खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी में युवा खिलाड़ियों ने दिलाई। भारत इस सीरीज को 2-1 से जीतने में कामयाब रहा। इस जीत पर बीसीसीआई ने टीम को पांच करोड़ रुपए दिए। 19 दिसम्बर को टीम इंडिया 36 रन पर टेस्ट इतिहास के अपने न्यूनतम स्कोर पर आउट हुई थी। अब 19 जनवरी को 329 रन बनाकर मैच के साथ टेस्ट सीरीज भी जीत ली। यह ब्रिस्बेन मैदान पर किसी भी टीम को मिला अब तक का सबसे बड़ा लक्ष्य था। इससे पहले 1957 में ऑस्ट्रेलिया ने यहां 236 रन बनाकर मैच जीता था। यह जीत इसलिए बनी अहमöऑस्ट्रेलिया 32 साल बाद ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में टेस्ट मैच हारा है। इससे पहले 1988 में वेस्टइंडीज ने उसे नौ विकेट से हराया था। भारत की इस मैदान पर यह पहली जीत थी। भारत को जीत के लिए 324 रन चाहिए थे। टीम ने आखिरी 10 ओवर में वनडे की तरह 64 रन बनाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उस समय 18 गेंदें बाकी थीं। पहली बार कोई टीम 300+ के लक्ष्य का पीछा करते हुए जीती। जीत इस मायने में अहम है कि पिछले टेस्ट में भारत को करारी हार मिली थी। पूरी टीम 36 रन पर ऑलआउट हुई थी। विराट कोहली पैटरनिटी लीव पर गए हुए थे। चौथे टेस्ट से पहले टीम के सात खिलाड़ी घायल थे। टीम के पांच खिलाड़ियों शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, वॉशिंगटन सुंदर और टी. नटराजन ने इस दौरे से पहले टेस्ट नहीं खेला था। शार्दुल ठाकुर ने कुछ साल पहले हैदराबाद में 10 गेंदें ही फेंकी थीं। इस मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के पास 1046 विकेट थे, जबकि हमारे गेंदबाजों के पास कैरियर के सिर्फ 13 थे। सिराज के सात, सैनी के चार, रोहित के दो विकेट। यूं क्रिकेट के लिहाज से देखें तो इस दौरे में टीम इंडिया जहां 1-2 से एक दिवसीय मैचों की श्रृंखला में पीछे थी तो टी-20 में उसने ऑस्ट्रेलिया पर 2-1 से जीत दर्ज की। मगर भारतीय टीम को टेस्ट श्रृंखला में मिली जीत को यदि उसकी सर्वकालिक सफलताओं में से एक कहा जा रहा है, तो उसका श्रेय अजिंक्य रहाणे की कप्तानी के साथ ही अपेक्षाकृत युवा खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन को भी जाता है। जिस तरह इस सीरीज में शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, ऋषभ पंत, शार्दुल ठाकुर और नटराजन ने खेला उससे भारतीय क्रिकेट का भविष्य स्वर्णमय बन गया है। यह इन हीरोज का कमाल है कि हम पहला टेस्ट एडिलेड में बुरी तरह से हारने के बाद गाबा में इतिहास रच सके। दरअसल पूर्णकालिक कप्तान विराट कोहली ने श्रृंखला के बीच पितृक अवकाश पर जाने और मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमरा, रवींद्र जडेजा और आर. अश्विन सहित अनेक खिलाड़ियों के चोटिल होने की वजह से पूरा दारोमदार युवा खिलाड़ियों पर आ गया। ऋषभ पंत, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा जैसे युवा खिलाड़ियों ने इस अवसर का लाभ उठाकर वह करके दिखा दिया जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी की हो। भावी टीम के इस दौरे ने दिखा दिया कि नए नायकों का आगाज हो चुका है।

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