Friday, 15 January 2021

संसद से पारित कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध हल करने के लिए चार सदस्यीय एक समिति भी बनाई। समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी, जिसकी पहली बैठक 10 दिन में दिल्ली में होगी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. राम सुब्रह्मण्यम की पीठ ने स्पष्ट कहा कि कृषि कानूनों के तहत किसी भी किसान को जमीन से वंचित नहीं किया जा सकता। किसानों की जमीन की सुरक्षा की जाएगी। साथ ही कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था, वह अगले आदेश तक जारी रहेगा। कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहाöकोई भी ताकत हमें समिति के गठन से नहीं रोक सकती। समिति इसलिए बना रहे हैं ताकि हमारे पास साफ तस्वीर हो। यह कोई आदेश नहीं जारी करेगी या सजा नहीं देगी। केवल हमें रिपोर्ट सौंपेगी। यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बनेगी। पीठ ने कहाöहम कानूनों की वैधता व नागरिक को लेकर चिंतित हैं। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मोर्चा संभाला। मगर चुनौती देने वाले वकील नहीं आए। यह शायद दूसरी बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने संसद से पास कानून पर रोक लगाई है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक कि वह मौलिक अधिकारों या फिर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन न करता हो। किसी कानून को तभी रोका जा सकता है, जब उसमें विधि निर्माण की क्षमता न हो। किसी याचिकाकर्ता ने भी ऐसा मुद्दा नहीं उठाया है। इस पर पीठ ने कहाöअटॉर्नी जनरल ठीक कह रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि कोर्ट के पास किसी वैधानिक अधिनियम के तहत कानून निलंबित करने की शक्ति नहीं है। हम अपनी मौजूदा शक्तियों के अनुसार और एक उद्देश्य के लिए समस्या हल करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि मामला दुर्लभ है और लोगों की चिंता इससे जुड़ी है इसलिए अंतरिम रोक लगानी पड़ी। चीफ जस्टिस ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक इसलिए है कि कमेटी किसानों व सरकार से बातचीत कर समाधान निकाले। कानूनों के अमल पर रोक लगाना महज औपचारिकता मात्र नहीं है। हम कानून को निलंबित करना चाहते हैं। लेकिन यह अनिश्चित काल के लिए नहीं होगा। हम निक्रियता चाहते हैं। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि करीब 400 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील दुष्यंत दवे, एचएस फुलका और कॉलिन गोंजाल्विस सुनवाई में उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें किसानों के संगठनों से सलाह कर बताना था कि समिति को लेकर उनकी राय क्या है? इस पर सीजेआई ने कहाöहम समिति अपने उद्देश्यों के लिए बना रहे हैं, जिससे समझ सकें कि जमीनी हालात क्या हैं? अदालत की यह चिंता वाजिब है कि ठंड और बारिश जैसे प्रतिकूल हालात में भी दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान मोर्चे पर डटे हैं। 60 से ज्यादा किसान ठंड से दम तोड़ चुके हैं व आत्महत्या कर चुके हैं। इस समस्या का हल निकलना चाहिए पर हमें अभी कोई तुरन्त समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है।

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