Thursday 14 January 2021

कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाएं वरना हम लगाएंगे

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लगभग 50 दिन हो रहे हैं। केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 8 दौर की बातचीत विफल रही। ऐसे में सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थीं कि शायद वह कोई रास्ता निकाले। सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों को मनाने में नाकाम रही केन्द्र सरकार को सोमवार को जमकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा-केन्द्र सरकार स्पष्ट करे कि वह कानूनों के अमल पर रोक लगाएगी या नहीं? अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो कोर्ट खुद ही रोक लगा देगी। कोर्ट ने कहा कि कानून के अमल पर रोक लगाकर एक कमेटी बनाई जाएगी, जो सभी पक्षों की बात सुनकर फैसला करेगी। सोमवार को शीर्ष अदालत ने केन्द्र से कहा, हम नहीं चाहते कि किसी के खून के छींटे हमारे हाथों में पड़े। कानूनों के अमल पर आप रोक लगाएं, अन्यथा यह काम हम करेंगे। इसे ठंडे बस्ते में डालने में क्या दिक्कत है? कोर्ट ने किसानों के खिलाफ और पक्ष में दायर हुई सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। सरकार ने कहा कि अभी सभी पक्षों में बातचीत जारी है। इसलिए अभी कानूनों पर रोक लगाना सही नहीं होगा। इस दलील पर चीफ बोबड़े नाराज हो गए और कहा हम बहुत निराश हैं। पता नहीं सरकार इस मामले को कैसे डील कर रही है? वह अब तक नाकाम रही है। केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जब यह कहा कि किसान यूनियनों ने सरकार के कई प्रस्तावों को नकार दिया है तो मुख्य न्यायाधीश बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस सुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, सरकार जिस तरह से इस मामले को देख रही है, उससे हम बेहद निराश हैं। पीठ ने यह भी कहा कि अगर सरकार को जिम्मेदारी का जरा भी अहसास है तो उसे कृषि कानूनों को फिलहाल लागू नहीं करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने हैरानी जताई कि आखिर सरकार गतिरोध खत्म होने तक तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाने को क्यों नहीं तैयार है? इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि कानूनों के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती। किसी भी पक्षकार ने नहीं कहा कि कानून असंविधानिक है। कई राज्यों की यूनियनों ने प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया है। पीठ-हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सरकार समस्या को दूर करने में असफल रही है। कृषि कानूनों के कारण हड़ताल हुई और आपको इस परेशानी का समाधान करना है। सीजेआई ने कहा, हमें इस बात की आशंका है कि कोई व्यक्ति किसी दिन ऐसा कुछ करेगा जिससे शांति भंग होगी। नए कानूनों का विरोध अगर लंबा खिंचता है तो हो सकता है कि किसी दिन हिंसा भड़क जाए और जानमाल का नुकसान हो। अगर कुछ गलत होता है तो हम में से हरेक इसके लिए जिम्मेदार होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि केन्द्र सरकार समस्या का समाधान निकालने में सक्षम नहीं है। आपने बिना पर्याप्त मशविरे के ऐसा कानून बनाया जिसका नतीजा विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आया है। कई राज्य विरोध में उतर आए हैं। इसलिए अब आपको आंदोलन का समाधान निकालना होगा। ऐसा बहुत कम बार देखने को मिला है जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी केन्द्र सरकार की इस तरह की फटकार लगाई हो। जनता सुप्रीम कोर्ट से इसीलिए इंसाफ की उम्मीद रखती है।

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