Saturday, 23 January 2021

पूर्व के विचार उसे अयोग्य नहीं बनाते

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने मंगलवार को कहा कि महज इसलिए कि एक व्यक्ति ने पहले के मामले पर विचार व्यक्त किए हैं, यह उसे किसी समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं बनाता। चीफ जस्टिस ने यह बात अदालत वाली चार सदस्यों की कमेटी के बारे में कही। उल्लेखनीय है कि चारों सदस्यों ने किसान कानूनों के समर्थन में बयान दिए थे। किसानों को इनके नामों पर ऐतराज है कि इन्होंने चूंकि किसान कानूनों का समर्थन किया है इसलिए इनसे हमें इंसाफ नहीं मिल सकता। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी समिति के सदस्य न्यायाधीश नहीं हैं और वह अपनी राय बदल भी सकते हैं। इस प्रकार केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति ने किसी मामले पर कुछ विचार व्यक्त किए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि उसे उस मुद्दे को हल करने के लिए एक समिति में नियुक्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट की यह टिप्पणी किसानों के विरोध पर समिति के गठन विवाद के सन्दर्भ में प्रासंगिक मानी जा रही है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध को हल करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति में वह सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन के समर्थन में खुले विचार व्यक्त किए हैं। समिति की पहली बैठक के बाद एक सदस्य का कहना है कि हम किसी पक्ष (सरकार) की ओर से नहीं हैं, हम शीर्ष अदालत की ओर से हैं। इसलिए किसान संगठनों के नेताओं से आग्रह है कि वार्ता के लिए आगे आएं। समिति के सदस्य व शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवत ने कहा कि विभिन्न हितधारकों से कृषि कानून पर चर्चा के दौरान सदस्य अपनी निजी राय को हावी नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि समिति 21 जनवरी को किसानों व दूसरे हितधारकों से पहले चरण की वार्ता करेगी। आंदोलनरत किसान संगठनों ने समिति के समक्ष आने से मना कर दिया उनको आगे फिर वार्ता के लिए बुलाना एक बड़ी चुनौती होगी। समिति का हर संभव प्रयास होगा कि किसान जल्द वार्ता में शामिल हों। जिससे मसले का हल निकल सके। इस बैठक में धनवत के अलावा कृषि अर्थशास्त्राr अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी भी शामिल हुए। अनिल धनवत ने कहा कि समिति केंद्र व राज्य सरकारों के अलावा किसानों व सभी दूसरे हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। एक सवाल के जवाब में धनवत ने कहा कि भूपेंद्र सिंह मान के स्थान पर किसे नियुक्त किया जाएगा यह सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है। समिति के सदस्य अशोक गुलाटी ने कहा कि समिति में सभी सदस्य बराबर हैं और उन्होंने समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने की संभावना को खारिज कर दिया। वहीं प्रमोद कुमार जोशी ने कहाöहमारी राय अलग हो सकती है, लेकिन जब इस तरह की जिम्मेदारी दी जाती है तो हमें निष्पक्ष तरीके से काम करना होता है। देखना अब यह है कि किसान संगठन अब इस समिति के समक्ष आगे पेश होते हैं या नहीं? -अनिल नरेन्द्र

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