Thursday, 7 January 2021

निशाने पर ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनव्वा प्रांत के कटक जिले में पिछले दिनों ऐतिहासिक मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में पुलिस ने कई और लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही मामले में अब तक 100 से ज्यादा आरोपी पकड़े जा चुके हैं। इसमें पुलिस के कुछ कर्मी भी शामिल हैं। इस मामले में लगभग 350 नामजद आरोपी हैं। इनमें कट्टरपंथी संगठन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के केंद्रीय नेता रहमत सलाम खट्टक और उनकी भीड़ के उकसाने वाले मौलवी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि जिले टेरी गांव में कट्टरपंथियों की भीड़ ने एक ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर में नए निर्माण के साथ उसके पुराने ढांचे को गत बुधवार को गिरा दिया था और उसके बाद उसमें आग लगा दी गई थी। मानवाधिकार कार्यकर्ता और पाक अल्पसंख्यक हिन्दु समुदाय ने इस घटना की कड़ी आलोचना की थी। इसके बाद प्रांत के मुख्यमंत्री महमूद खान ने शुक्रवार को कहा था कि प्रांतीय सरकार गिराए गए मंदिर का पुनर्निर्माण कराएगी। सरकार ने पुनर्निर्माण के लिए आदेश जारी कर दिया है। वहीं मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी को लेकर पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। ताजा घटना में साफ है कि मंदिर को गिराने का यह कृत्य सुनियोजित था। यह भी सच्चाई है कि कहीं भी उकसाए लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम नहीं देते हैं। वरना अब तक तो यह मंदिर कब का साफ हो चुका होता। दूसरे धर्मों के प्रति घृणा फैलाने का काम कट्टरपंथी ताकतें ही करती हैं। ऐसी ताकतों को सत्ता का पूरा संरक्षण हासिल रहता है। मंदिर या दूसरे धर्म स्थलों को नुकसान पहुंचाने के मामले में आज तक किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई हुई हो ऐसा देखने में नहीं आया है। अपने नागरिकों को धार्मिक आजादी प्रदान कराने के मामले में वैसे भी पाकिस्तान बदनाम मुल्क के रूप में जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका और दूसरे देश भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर चिन्ता व्यक्त करते रहे हैं। यहां तक कि पाकिस्तान का मानवाधिकार आयोग तक कह चुका है कि आने वाले वक्त में यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब होगी। पाकिस्तान के संविधान ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी सामान अधिकार देने की बात की है। लेकिन आज पाकिस्तान सरकार अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए यहां धार्मिक उत्पीड़न कर रही है। धार्मिक स्थलों पर हमलों को रोकने की नीति को बनाए अगर पाकिस्तान सरकार दशकों से बन्द पड़े मंदिरों और गुरुद्वारों को फिर से खुलवाने की दिशा में बढ़े तो इससे अल्पसंख्यकों के भीतर भी सरकार के प्रति भरोसा पैदा होगा और ऐसी कवायद भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में सही भूमिका निभा सकती है लेकिन क्या पाकिस्तान इस बात को समझ पाएगा? -अनिल नरेन्द्र

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