Thursday, 31 December 2020

बिना ड्राइवर की ट्रेन कितनी सुरक्षित है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मजेंटा लाइन पर चलने वाली देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अटलजी के प्रयासों से देश में पहली मेट्रो की शुरुआत हुई थी। जब 2014 में हमारी सरकार बनी उस वक्त केवल 5 राज्यों में मेट्रो सर्विस थी आज 18 शहरों में मेट्रो सर्विस है। 2025 तक हमारा लक्ष्य मेट्रो सर्विस को 25 शहरों में शुरू करना है। दिल्ली में बिना ड्राइवर के ऑटोमेटिक चलती मेट्रो ट्रेन चालू हो गई है। आज आपकी दिल्ली मेट्रो दुनिया के चर्चित शहरों में शामिल हो गई है। अपनी दिल्ली तेजी से विकास कर रही है। देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो 38 किलोमीटर लंबी मजेंटा लाइन पर चलेगी। 390 किलोमीटर में दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क दिल्ली समेत आसपास के नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे शहरों को जोड़ता है। दिल्ली मेट्रो देश की सबसे बड़ी मेट्रो सेवा है। पहली बार इसका परिचालन 24 दिसम्बर, 2002 को शाहदरा और तीस हजारी स्टेशनों के बीच 8.4 किमी मार्ग पर हुआ था। मजेंटा लाइन दिल्ली में जनकपुरी वेस्ट और नोएडा बोटेनिकल गार्डन को जोड़ती है। इसी लाइन पर यह पहली ड्राइवरलेस ट्रेन तकनीक शुरू हुई है। इस तकनीक को 2021 के मध्य तक पिंक लाइन (मजलिस पार्क-शिव विहार) पर भी शुरू करने की योजना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन के बाद भाषण के दौरान कहा कि उन्हें तीन साल पहले मजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था और आज फिर इसी रूट पर देश की पहली ऑटोमेटिक मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा ये दिखाता है कि भारत कितनी तेजी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ बढ़ रहा है। डीएमआरसी के मुताबिक अभी भी ज्यादातर ट्रेन को रिमोर्ट कंट्रोल के द्वारा ऑपरेशन रूम से नियंत्रित किया जाता है, जिसे ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर या ओसीसी कहते हैं। यहां से इंजीनियरों की टीमें पूरे नेटवर्क में रियल टाइम ट्रेन मूवमेंट पर नजर रखती है। ये एयर ट्रैफिक कंट्रोल की तरह होता है। डीएमआरसी के पास अभी तीन ओसीसी हैं जो दो मेट्रो मुख्यालय के अंदर और एक शास्त्राr पार्क में है। डीएमआरसी ने बताया कि यह ड्राइवरलेस ट्रेन पूरी तरह सुरक्षित है। उन्हेंने बताया कि मेट्रो को चलाने से जुड़े कई काम पहले से ही ऑटोमेटिक हैं। हाई रिजाल्यूशन के कैमरे लग जाने से ट्रेक पर केबिन से नजर रखने की जरूरत नहीं होगी। इस नए प्लान के मुताबिक ट्रेक और ट्रेन के ऊपर से गुजरने वाली तारों पर लगातार नजर रखी जाएगी और आपातकाल की स्थिति में तुरंत कदम उठाया जा सकेगा। कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीएमआरएस) जिसने 18 दिसम्बर को बिना ड्राइवर के ट्रेन की अनुमति दी थी। उनका ये सुनिश्चित करने का निर्देश है कि कमांड सेंटर पर सब कुछ साफ दिखे और ट्रेन पर लगे कैमरों को नमी से मुक्त रखा जाए। डीएमआरसी के मुताबिक उन्होंने प्रणालियों के निरीक्षण और समीक्षा के लिए एक सलाहाकार भी नियुक्त किया है। इसकी रिपोर्ट डीएमआरसी, सीएमआरएस को परिचालन शुरू होने के बाद देगा। कमांड सेंटर पर इफार्मेशन कंट्रोलर होंगे जोकि यात्रियों और भीड़ की मानिटरिंग करेंगे। इसके अलावा ट्रेन से जुड़ी दूसरी जानकारियों और सीसीटीवी की भी लगातार मानिटरिंग की जाएगी। यात्रियों में ड्राइवरलेस ट्रेनों में बैठने का डर तो रहेगा। पर समय के साथ जब वह कंविस हो जाएंगे कि यह ट्रेन सुरक्षित है तो यह डर भी खत्म हो जाएगा।

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