Thursday 17 December 2020

परिवार नियोजन के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि लोगों को परिवार नियोजन के तहत परिवार में बच्चों की संख्या दो तक सीमित रखने के लिए मजबूर करने के खिलाफ है। इससे जनसंख्या के सन्दर्भ में विकृति पैदा होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि परिवार नियोजन के लिए सरकार दबाव नहीं डाल सकती। इसका विपरीत असर भी होता है और डेमोग्राफी की विकृतियां पैदा होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें याचिकाकर्ता ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए वेंकट चेलैया कमीशन की सिफारिश लागू करने की गुहार लगाई है। याचिका में कहा गया है कि दो बच्चों की नीति लागू की जाए। सरकार को सब्सिडी और नौकरी के लिए दो बच्चों की पॉलिसी लागू करने का निर्देश दिया जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि परिवार नियोजन एक स्वैच्छिक नेचर का प्रोग्राम है। यह लोगों की इच्छा के हिसाब से फैमिली प्लानिंग की योजना है। इसमें कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि पब्लिक हेल्थ राज्य का विषय है। केंद्र ने कहा कि इस मामले में उनका सीधा रोल नहीं है। साथ ही कहा कि हेल्थ से संबंधित तमाम गाइडलाइंस को लागू करने का अधिकार राज्य का है। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से यह भी कहा गया है कि सरकार समग्र राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का पालन करती है। भारत सरकार जबरदस्ती परिवार नियोजन कराने के खिलाफ है। वैसे भारत सरकार जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाती है। मसलन विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। मिशन परिवार विकास योजना है। इसके तहत परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाता है। साथ ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य कार्यक्रम चलाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल कर भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है और कहा गया है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए कदम उठाए जाएं। याचिका में गुहार लगाई गई है कि दो बच्चों की पॉलिसी घोषित की जाए। यानि सरकारी नौकरी, सब्सिडी आदि का क्राइटेरिया तय किया जाए। साथ ही कहा कि इस पॉलिसी का उल्लंघन करने वालों के कानूनी अधिकार, वोटिंग अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार आदि को ले लिया जाए। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के हलफनामे पर याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मंत्रालय ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण राज्य का विषय है। जबकि हमारा कहना है कि मिनिस्ट्री के अधिकारी न संविधान को पढ़ते हैं, न समझते हैं। संविधान के शेड्यूल-7 में कार्यों का बंटवारा है। इसमें तीन लिस्ट हैं। केंद्रीय, राज्य और समवर्ती सूची। जनसंख्या नियंत्रण का विषय समवर्ती सूची में है यानि जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही कानून बना सकते हैं। -अनिल नरेन्द्र

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