Thursday 31 December 2020

वकील महमूद प्राचा के खिलाफ केस दर्ज हुआ

हजरत निजामुद्दीन थाने में प्रसिद्ध वकील महमूद प्राचा व अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने व पुलिस टीम के साथ अभद्र व्यवहार करने का मामला दर्ज किया गया है। महमूद प्राचा के कार्यालय में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सर्च ऑपरेशन गत बृहस्पतिवार को करीब 15 घंटे चला था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में एक दंगा पीड़ित को गलत बयान देने को कहा गया था। हलफनामा जिस नोटरी के नाम पर बनाया गया, उनकी तीन साल पहले 2017 में मौत हो चुकी है। उसकी पत्नी वकील है। नोटरी को दिल्ली सरकार द्वारा नोटरी का लाइसेंस मिला हुआ था। कोर्ट में बहस के दौरान इसकी पोल खुल गई। नोटरी की पत्नी ने कोर्ट में बयान दिया कि उसके पति की मौत हो चुकी है, उसने कोई हलफनामा नहीं बनाया है। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव को स्पेशल सेल व अपराध शाखा को इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए। कोर्ट के निर्देश पर 22 अगस्त 2020 को स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज कर जांच श्gारू कर दी। पुलिस का कहना है कि महमूद प्राचा ने जांच में सहयोग नहीं किया। पुलिस के पूछने पर भी प्राचा ने कंप्यूटर व उसके पासवर्ड के बारे में नहीं बताया। पुलिस ने कंप्यूटर व लैपटॉप आदि को खंगाला। आरोप है कि वहां अन्य लोगें को बुला लिया गया था। स्पेशल सेल की ओर से बृहस्पतिवार रात को ही निजामुद्दीन थाने में शिकायत दर्ज कर दी गई थी। स्पेशल सेल ने इस बारे में शुक्रवार को सफाई देते हुए कहा कि प्राचा और जावेद के दफ्तर पर छापे मारी कोर्ट के आदेश पर की गई थी। 15 घंटे तक चले सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस टीम के साथ स्वतंत्र गवाह, वर्दी में पुलिसकर्मी और महिला पुलिसकर्मी समेत डीसीपी मनीषी चंद्र आदि अधिकारी भी मौजूद थे। छापेमारी की वीडियोग्राफी भी की गई। वकील महमूद प्राचा ने उनके कार्यालय में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा छापा मारने के दौरान की गई वीडियोग्राफी को सुरक्षित रखने के लिए अदालत में आवेदन दायर किया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज किए गए मामले की जांच को लगातार निगरानी करने का भी आग्रह किया है। अदालत ने इस मामले में पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पटियाला हाउस के ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अंशुल सिंघल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर 27 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने जांच अदालत की निगरानी में करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई 5 जनवरी तक स्थगित कर दी है। दिल्ली दंगों के कई आरोपियें की पैरवी अधिवक्ता महमूद प्राचा कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि पूरे मामले की सुनवाई संबंधित अदालत में होगी और वही अदालत ही जब्त सामान को वापस दिलवाने व वीडियो की प्रति दिलवाने संबंधी मांग पर विचार करेगी। अधिवक्ता प्राचा ने आवेदन दाखिल कर अपने दफ्तर से जब्त सामान वापस लौटाने एवं उस दौरान बनाई गई वीडियो फुटेज को दिलवाने की मांग की थी। इस मामले में अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था और जांच अधिकारी को जब्त सामान व वीडियो फुटेज को साथ लाने को कहा। मामला अदालत में है और अब इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना सही नहीं है। महमूद प्राचा अगर निर्दोष हैं तो निश्चित रूप से वह खुद अपनी पैरवी कर खुद को निर्दोष साबित करा सकते हैं। अगर उनके साथ नाइंसाफी हुई है तो भी अदालत फैसला कर लेगी। -अनिल नरेन्द्र

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