Wednesday, 30 December 2020
भाजपा का यह कदम गठबंधन धर्म के खिलाफ है
अरुणाचल प्रदेश में जनता दल (यूनाइटेड) के छह विधायक भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों के रिश्तों पर फिलहाल कोई असर भले न पड़े, पर भाजपा के इस कदम ने गठबंधन में अविश्वास की नींव जरूर डाल दी होगी। अरुणाचल में जनता दल (यूनाइटेड) को झटका देते हुए उसके सात में से छह विधायक सहयोगी सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। साथ ही पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीएपी) का एक विधायक भी पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो गया है। पंचायत और नगर निगम चुनाव के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले यह बदलाव हुआ। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर उतरी जनता दल (यू) सात सीटें जीतकर भाजपा के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बनी थी। भाजपा ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बदलाव के बाद 60 सीटों की विधानसभा में अब भाजपा के 48 विधायक हो गए हैं, वहीं कांग्रेस और एनसीपी के चार-चार विधायक हैं। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यह गठबंधन धर्म की भावना के खिलाफ है। जदयू के लिए यह बात समझ से परे है कि बिहार में गठबंधन के बावजूद भाजपा ने यह फैसला क्यों किया? केसी त्यागी का कहना है कि जदयू अरुणाचल प्रदेश में दोस्ताना विपक्ष था। दोनों पार्टियां एनडीए के हिस्सा हैं। ऐसे में यह क्यों हुआ, भाजपा ही बता सकती है? दरअसल पूर्वोत्तर में भाजपा लगातार खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। असम में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के चुनाव में भाजपा ने सहयोगी बोडो पीपुल्स फ्रंट का साथ छोड़कर यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और गण सुरक्षा पार्टी के साथ हाथ मिला लिया था। यह भी तर्क दिया जा रहा है कि जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन सिर्फ बिहार तक सीमित है। वर्ष 2019 के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सात सीट जीतकर सभी को चौंका दिया था। प्रदेश की राजधानी ईटानगर में भी जदयू की जीत हुई थी। हालांकि दूसरी बड़ी पार्टी रहने के बावजूद जदयू ने विपक्ष में बैठने के बजाय सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। ऐसा पहली बार हुआ है, जब सत्ता में रहते हुए अपने सहयोगी दल के विधायकों को किसी बड़ी पार्टी ने अपने में शामिल कर लिया है। माना जा रहा है कि सात में से छह विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराकर भाजपा ने जदयू को एक बड़ा संदेश भी दिया है। भाजपा द्वारा जदयू विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किए जाने पर कांग्रेस और राजद ने तंज कसा है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा विपक्षी पार्टी को तो तोड़ती रही है पर अरुणाचल प्रदेश की घटना ने साफ कर दिया है कि अब वह सहयोगी दल को भी तोड़ने लगी है। वहीं राजद ने कहा कि भाजपा ने जदयू के विधायकों को पार्टी में शामिल कर गठबंधन धर्म पर घात किया है। इससे एनडीए के अन्य घटक दलों को खासकर कम विधायकों वालों को झटका लगा है और अब सब चिन्ता और सोच में पड़ गए होंगे कि कहीं उनकी पार्टी पर भी भाजपा सेंध न लगा दे। समझ से बाहर है कि जब 60 सीटों के विधानसभा में भाजपा के पास बहुत (30) से कहीं ज्यादा सीटें (41) थीं तो उन्हें जदयू के विधायकों को क्यों तोड़ा? अरुणाचल में टूट से जदयू को बड़ा झटका लगना स्वाभाविक ही है। जदयू न सिर्फ केंद्र में एनडीए का हिस्सा है, बल्कि बिहार में भी भाजपा के साथ सरकार चला रही है। क्या नीतीश अपनी पार्टी का भाजपा में विलय तो नहीं चाहते?
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