Wednesday 30 December 2020

इसलिए बनाया जाए शरद पवार को संप्रग अध्यक्ष

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का अध्यक्ष बनाने की चर्चा एक पखवाड़े में दूसरी बार छेड़ी गई है। उनके 80वें जन्मदिन से ठीक पहले भी चर्चा उठी थी। अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये शरद पवार का नाम लिए बिना उन्हें संप्रग की जिम्मेदारी सौंपने की वकालत की है। सामना के संपादकीय में शनिवार को जहां कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग की कमियां गिनाई गईं। वहीं पवार की तारीफ में कसीदे काढ़े गए हैं। संपादकीय कहता हैöकांग्रेस के नेतृत्व मे यूपीए (संप्रग) की हालत किसी एनजीओ जैसी दिख रही है। इसमें शामिल दल कौन है, क्या करते हैं, इस पर भ्रम की स्थिति है। यूपीए के सहयोगी दल किसान आंदोलन को गंभीरता से लेते नहीं दिखाई देते। पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को छोड़ दें तो यूपीए के अन्य सहयोगी दलों में कोई हलचल नहीं है। संपादकीय कहता हैöपवार का एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है। उनके अनुभव का लाभ पीएम नरेंद्र मोदी सहित दूसरी पार्टियां भी लेती हैं। बंगाल में भाजपा से लड़ रही ममता बनर्जी ने हाल ही में उनसे बात की है। महाराष्ट्र की शिवसेना नीत सरकार में कांग्रेस शामिल है, इसलिए सामना ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी की सीधी आलोचना के बजाय सिर्फ संप्रग की कमियां गिनाईं। अखबार ने लिखा कि कांग्रेस में एक साल से पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है। सोनिया यूपीए की अध्यक्षा हैं और कांग्रेस का नेतृत्व कर रही हैं। लेकिन उनके आसपास के पुराने नेता अदृश्य हो गए हैं। मोती लाल वोरा और अहमद पटेल जैसे लोग अब नहीं रहे। ऐसे में कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा? यूपीए का भविष्य क्या है, इसे लेकर भ्रम बना हुआ है। जिस तरह कांग्रेस में कोई नहीं, इसी तरह यूपीए में भी कोई नहीं है। लेकिन भाजपा पूरी सामर्थ्य के साथ सत्ता में है और उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा दमदार नेतृत्व और अमित शाह जैसा राजनीतिक व्यवस्थापक है। सामना में लिखा गया कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है। संप्रग में नेतृत्व की कमजोरी की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, मायावती की बसपा, अखिलेश की सपा, आंध्र में जगन की वाईएसआर कांग्रेस, चन्द्रशेखर राव की टीआरएस, नवीन पटनायक की बीजद जैसे कई दल भाजपा के विरोध में है लेकिन वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में शामिल नहीं हुए। जब तक यह दल यूपीए में शामिल नहीं होंगे, विपक्ष का बाण सरकार को भेद नहीं सकेगा। सामना में निशाना साधे जाने के बाद अब कांग्रेस ने पलटवार किया है। शिवसेना को हिदायत देते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कहा कि जो पार्टी यूपीए का हिस्सा नहीं, वो यूपीए के नेतृत्व के बारे में कांग्रेस को सलाह न दे। सोनिया जी का नेतृत्व सक्षम है। साथ ही उन्होंने कहा कि शरद पवार ने खुद स्पष्ट किया है कि वह यूपीए की कमान नहीं संभालेंगे। वहीं कांग्रेस के नेता नसीम खान ने भी शिवसेना पर कहा कि पार्टी ने महाराष्ट्र में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर शिवसेना को समर्थन दिया है। शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है, इसलिए यूपीए के बारे में शिवसेना को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं है और शिवसेना को यह ध्यान रखना चाहिए।

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