Sunday, 27 December 2020

किसान आंदोलन को मिल रहा है जनसमर्थन

नए कृषि कानूनों को रद्द कराने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर चल रहा किसान आंदोलन चरम पर है। इसे जनसमर्थन मिल रहा है और आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए कलाकार जोश जगाने में लग गए हैं। बृहस्पतिवार को भी कई पंजाबी कलाकार और खिलाड़ी सिंघु बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसानों के हक में आवाज बुलंद की और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि किसानों की सभी मांगें मान लेनी चाहिए। किसान आंदोलन के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ता जा रहा है। पंजाब का रहने वाला एक कृषि श्रमिक 370 किलोमीटर साइकिल चलाकर सिंघु बॉर्डर पहुंचा। 36 वर्षीय सुखपाल बाजवा मोगा जिले का रहने वाला है। उसका कहना है कि कृषि कानून के विरोध में आंदोलनरत किसानों के समर्थन में वह यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून वापस नहीं लिए गए तो उनका जीवन-यापन मुश्किल हो जाएगा। दो दिन तक साइकिल चलाकर वह यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि वह एक श्रमिक हैं और मुश्किल से दो वक्त की रोटी कमा पाते हैं। इसलिए मोटरसाइकिल या ट्रेन से आना उनके लिए मुश्किल था। आर्थिक हालात ठीक नहीं होने के कारण ही वह साइकिल से यहां आए हैं। वह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। 67 वर्षीय अमरजीत सिंह भी 265 किलोमीटर साइकिल चलाकर धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह पटियाला के रहने वाले हैं और पंजाब के सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर रह चुके हैं। उनके साथ 10 और किसान साइकिल से यहां पहुंचे हैं। प्रदर्शन को पिछले कई दिनों से टीवी पर देख रहे थे। इसलिए उन्होंने भी आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया। सिंघु बॉर्डर पर सरकार के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन के कई रूप देखने को मिल रहे हैं। कोई तो कई किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंच रहा है तो कोई नारेबाजी और हाथों में झंडे लेकर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो जरूरतमंद लोगों के लिए रक्तदान कर रहे हैं। सरकार उनकी मांगों को माने इसके लिए वह लोग अपने खून से ही सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पत्र लिख रहे हैं। हजारों किसानों के बीच यहां रक्तदान करने वालों की भी कमी नहीं है और न ही खून से पत्र लिखने वालों की। भाई कनैया जी मिशन सेवा सोसाइटी के प्रधान तरनजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने सोमवार को यहां पर जरूरतमंद लोगों के लिए ब्लड डोनेशन कैंप लगवाया, जिसमें बड़ी तादाद में किसान भाइयों ने अपना खून दान किया। साथ ही सरकार के रवैये से नाराज इन किसानों ने सरकार को अपने खून से चिट्ठी भी लिखी है। उन्होंने कहा कि हम यह चिट्ठी किसान संगठनों के सदस्यों को जमा कराते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय तक इन चिट्ठियों को पहुंचाने का वादा करते हैं। प्रदर्शन स्थल पर कई ऐसी चीजें भी देखने को मिलती हैं जो कि लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उन्हीं में से एक है रविराज की फसल और किसान की पेंटिंग जो कि करीब पांच फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी है। रवि कहते हैं कि वह एक आर्टिस्ट हैं। किसान और फसल का रिश्ता एक बाप-बेटे की तरह होता है। रवि पटियाला के रहने वाले हैं। वह यहां अपनी पेंटिंग द्वारा किसान आंदोलन में समर्थन देने के लिए पहुंचे हैं। वह कहते हैं कि किसान के लिए फसल उनके बेटे के समान है। वह फसल को कई महीनों तक पालता पोषता है, फिर जब कटाई होती है तो वह चाहता है कि उसकी फसल के अच्छे भाव मिलें, लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है। किसान फसलों को बचाने के लिए अपनी जान तक गंवा देता है। हम चाहते हैं कि सरकार इन काले कानूनों को वापस ले और उद्योग घरानों के हाथों हमारी फसलें जाने से बचा सके।

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