Saturday, 26 December 2020
धर्म के कारण किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाएगा
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के शताब्दी समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करके एक बेहद सकारात्मक संदेश दिया है। उन्होंने एक तरह से देश के मुसलमानों का आह्वान किया कि वह देश की मुख्यधारा से अपने आपको जोड़ें। इसमें कोई शक नहीं है कि मुसलमानों के बीच शिक्षा का महत्व के प्रसार-प्रचार में एएमयू ने बेहतरीन योगदान दिया है। यह विश्वविद्यालय भारत की अमूल्य धरोहर है। यहां से तालीम लेकर निकले तमाम लोग दुनिया के तमाम मुल्कों में छाए हुए हैं। शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए अपनी सरकार के मंत्र सबका साथ सबका विकास को दोहराया और मोदी ने विविधता को देश की ताकत बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के शताब्दी समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने इस समारोह की याद में एक डाक टिकट भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने सर सैयद अहमद की उस टिप्पणी को याद किया कि अपने देश के बारे में जो व्यक्ति चिन्ता करता है, उसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य यह है कि वह जाति, पंथ या धर्म का विचार किए बिना सभी लोगों के कल्याण के लिए काम करे। प्रधानमंत्री ने बिना किसी भेदभाव के जनता को लाभ प्रदान करने वाली सरकार की योजनाओं के भी उदाहरण दिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के संसाधन हर नागरिक के लिए हैं। इनका सभी को लाभ मिलना चाहिए। हमारी सरकार इसी समझ के साथ काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने एएमयू के सौ साल के सफर को याद करते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर काम करने की जरूरत है कि एएमयू परिसर में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना दिनोंदिन मजबूत हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रगति में धार्मिक आधार पर किसी को वंचित नहीं होना चाहिए। वास्तव में एएमयू की स्थापना के मूल में ही प्रगतिशील सोच रही है और अल्पसंख्यक संस्थान होने के बावजूद इसने जाति या धर्म के आधार पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव नहीं किया है। यह देश के उन चुनिन्दा केंद्रीय संस्थानों में से हैं, जहां अपेक्षाकृत कम शुल्क में उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध है। प्रधानमंत्री ने लोगों को भ्रामक प्रचार के विरुद्ध सतर्क रहने और दिल में राष्ट्र के हितों को सर्वोच्च मानने का आह्वान किया। राजनीति इंतजार कर सकती है, लेकिन समाज नहीं। इसी प्रकार गरीब चाहे किसी भी वर्ग से संबंधित हो, वह भी इंतजार नहीं कर सकता। हम समय बर्बाद नहीं कर सकते। हमें आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान एएमयू द्वारा समाज को दिए गए अभूतपूर्व योगदान की सराहना करते हुए कहा कि एएमयू ने हजारों लोगों के निशुल्क परीक्षण किए, पृथक् वार्ड बनाए, प्लाजमा बैंक बनाए और पीएम केयर फंड में बड़ी राशि का योगदान किया जो इस विश्वविद्यालय की समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारियों को पूरा करने की गंभीरता दर्शाता है। सौ सालों में एएमयू ने दुनिया के अनेक मुल्कों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भी कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं व इस्लामी साहित्य पर किए गए शोध पूरे इस्लामी जगत के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान की। सर सैयद अहमद ने जब इसकी स्थापना की थी तो उनकी कल्पना में ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी थी, सौ साल बाद यह अपेक्षा की जा सकती है कि एएमयू आने वाले समय में ऐसी हर कसौटी पर खरा उतरेगा।
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