Wednesday, 9 December 2020

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने दी भारतीय मूल के लोगों को राहत

अमेरिकी कोर्ट ने नाबालिग अवस्था में बिना वैध दस्तावेजों के देश में दाखिल हुए अप्रवासियों को निर्वासन से बचाने के लिए बराक ओबामा के दौर में लागू योजना को पूर्ण रूप से बहाल करने का आदेश दिया। ट्रंप प्रशासन के फैसले को कोर्ट ने पलट दिया है। कोर्ट के इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासियों को लाभ होगा। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में बाल्यकाल में आए लोगों के खिलाफ कार्रवाई स्थगित करने की योजना (डीएसीए) को खत्म करने की कोशिश की थी। लेकिन अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने इस कोशिश को इस साल जून में बाधित कर दिया था। कोर्ट ने शुक्रवार को आंतरिक सुरक्षा विभाग को डीएसीए लाभार्थियों पर कार्रवाई स्थगन की अवधि दो साल और बढ़ाने और सोमवार से नए आवेदन स्वीकार करने के निर्देश दिए। इसका मतलब है कि सितम्बर 2017 के बाद पहली बार वह लोग नए सिरे से आवेदन कर सकेंगे जो पहले इसके लिए पात्र नहीं थे। यह योजना उन अवैध अप्रवासियों को निर्वासन से सुरक्षा मुहैया कराती है जो अमेरिका में बच्चे के तौर पर दाखिल हुए थे। जस्टिस गर्टोफिस ने अपने आदेश में लिखाöअदालत मानती है कि यह अतिरिक्त राहत तर्कसंगत है। डीएसीए कार्यक्रम के तहत करीब 6,40,000 लोग रजिस्टर्ड हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में कम से कम 6,30,000 भारतीय बिना दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं। यह संख्या वर्ष 2010 के मुकाबले 72 प्रतिशत अधिक है। ट्रंप प्रशासन इस फैसले के खिलाफ संघीय अदालत में अपील दाखिल कर सकता है या सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अस्थायी राहत का अनुरोध कर सकता है। प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा कि अदालत ने ओबामा कार्यकाल की योजना को बरकरार रखा है जो अमेरिकी लोगों की इच्छा का सम्मान है। -अनिल नरेन्द्र

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