Tuesday 29 December 2020

थका दो, भगा दो नीति पर काम कर रही सरकार

सरकार ने फिर किसानों को खत लिखा है और वार्ता के लिए बुलाया है। किसान बुधवार को मिलने वाले भी हैं। किसान और सरकार दोनों एक-दूसरे को अब तक समझ चुके हैं। आंदोलनकारी किसानों ने सरकार से उन बातों का जवाब मांगा है जिनको उन्होंने शुरू से ही उठाया है। सरकार उन मुद्दों पर न तो बातचीत कर रही है, उन्हें मनाना तो दूर की बात रही। प्रधानमंत्री के आदेश पर सरकार का हर नेता आजकल जनता को इन कानूनों के बारे में समझाने निकला है। प्रधानमंत्री हर भाषण में इन कानूनों की अच्छाइयां बताने के साथ-साथ तमाम विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाते हैं कि वह भोलेभाले किसानों को बरगला रही हैं। अगर किसान विपक्षी नेताओं से गुमराह हो रहा है जिन्हें मीडिया वैसा कवरेज भी नहीं देता तो पार्टी के मंत्री व स्थानीय नेताओं की कौन सुनेगा? दूसरा अगर विपक्षियों में बरगाने की इतनी ही कूवत होती तो वह डेढ़ साल पहले हुए आम चुनाव में जीत न जाते? क्या विपक्षी नेताओं की विश्वसनीयता लाखों किसानों को सर्दी में सड़कों पर भी उसी संकल्प से कष्ट सहने को मजबूर कर सकती है? सत्ता की नियति है कि इसके होशियार लोग भी कई बार गलती करते रहते हैं और अंत तक उन्हें समझ में नहीं आता कि करना क्या था? उदाहरण देखें, कनाडा में इन किसानों के रिश्तेदार हैं, जो खुद भी इन किसानों के परिवारों से हैं जो मदद भेज रहे हैं उस पर कुछ मंत्री विदेशी फंड बताकर आंदोलन को जन-विमर्श में कलंकित करना चाहते हैं। वह यह क्यों नहीं समझ रही कि यह किसानों के अस्तित्व की लड़ाई है और सरकार ने उन्हें आजीविका का कोई अन्य विकल्प नहीं दिया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि केंद्र सरकार अन्नदाताओं को थका दो, भगा दो की नीति पर काम कर रही है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि 31 दिन से हाड़ कंपाती सर्दी में देश का अन्नदाता किसान दिल्ली के दरवाजे पर न्याय की गुहार कर रहा है। अब तक 44 किसानों की शहादत हो चुकी है। मगर पूंजीपतियों की पिछलग्गू मोदी सरकार का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार किसानों को थका दो और भगा दो की नीति पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री टीवी पर सफाई और उनके मंत्री चिट्ठियों की दुहाई देते हैं, मगर मुट्ठीभर पूंजीपतियों की सेवक सरकार किसानों की दुश्मन बन बैठी है, कड़वा सत्य यह है कि मोदी सरकार राजनीतिक बेइमानी, धूर्तता व प्रपंच का सहारा लेकर समस्या का समाधान नहीं करना चाहती है। किसानों के रास्ते में सड़क खुदवाने वाले, किसानों पर सर्दी पर वॉटर केनन चलवाने वाले और लाठियां बरसाने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब फिर सम्मान निधि का स्वांग रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप आज किसानों को आतंकी, कुकुरमुत्ता, टुकड़े-टुकड़े गैंग, गुमराह गैंग, खालिस्तानी बता रहे हैं और आप उलटा खुद बरगला रहे हैं, विपक्षी नहीं। शर्मनाक है कि कृषि मंत्री ने भी अपने पत्र में किसानों को राजनीतिक कठपुतली तक कह दिया।

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