Tuesday 8 December 2020

जय बालाजी महाराज, जय श्रीराम

राजस्थान के दौसा-करौली जिले में विश्व प्रसिद्ध श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। मंदिर ट्रस्ट ने लॉकडाउन के बाद यह काम शुरू किया था। मंदिर को विशालकाय रूप दिया गया है। अंदर 60-70 फुट के स्थान पर भक्तों की 15-20 कतारों की व्यवस्था हो सकेगी। 75 फुट ऊंचा शिखर ऐसा बना है कि दूर से दिखाई दे। पिछले हिस्से में श्री प्रेतराज सरकार के संकरे रास्ते को 20 फुट च़ौड़ा किया गया है। मेहंदीपुर में समस्त हनुमान भक्त सेवाधाम ट्रस्ट के श्री हनुमान सेवा सदन और अन्य संस्थाओं द्वारा सेवा कार्य किए जाते हैं। मंदिर ट्रस्ट तो लगातार सेवा कार्य करता रहा है। समस्त हनुमान भक्त सेवाधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय गर्ग के मुताबिक मुख्य मंदिर के जीर्णोद्धार के अलावा सड़कों, सीवर आदि का काम भी हुआ है। मंदिर के महंत श्री किशोरपुरी जी महाराज ने पिछले साल मंदिर के सामने के हिस्से में श्रीराम मंदिर में भी निर्माण कार्य कराया था। इन कार्यों से श्रद्धालुओं को दर्शन और आवागमन में सुविधा होगी। श्री बालाजी मंदिर में गत 24 नवम्बर को फिर से दर्शन शुरू हो गए हैं। राज्य में अभी कई पाबंदियां हैं। इस वजह से आम दिनों के 10 हजार भक्तों की तुलना में अभी 700-1000 श्रद्धालु ही आ रहे हैं। मेहंदीपुर का एक हिस्सा दौसा और करौली जिले में आता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी के बालरूप, उनके साथ प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान भैरव का स्थल करीब 1000 साल पुराना है। यह भी कहा जाता है कि एक महंत गोसाई जी को अद्भुत सपना हुआ। वह उठकर चल दिए। उन्हें आभास हुआ कि साथ में असंख्य जलते हुए दीपक, घोड़ों की आवाजें, सेना भी चल रही थी। एक स्थान पर पहुंचकर सब रुक गए, सेना ने वहां दंडवत प्रणाम किया। फिर सब अदृश्य। गोसाई जी घर आकर सो गए। फिर स्वप्न हुआ, तीन मूर्तियां दिखीं, आवाज की उठो मेरी सेवा करो। थोड़ी देर बाद हनुमान जी के दर्शन हुए। गोसाई जी अगले दिन उसी स्थान पर पहुंचे। घंटे-घड़ियाल, नगाड़ों आदि की आवाजें आ रही थीं। दिखाई कुछ नहीं दे रहा था। गोसाई जी ने वहीं दो पहाड़ों के बीच उस घाटी में पूजा शुरू कर दी। तभी से पूजा हो रही है। घाटी में है, इसलिए इसे घाट मेहंदीपुर बालाजी भी कहा जाता है। हनुमान जी कि बालरूपी मूर्ति यहां बनाई नहीं गई है, बल्कि पहाड़ में स्वयं प्रकट है। साथ में प्रेतराज सरकार और भैरव के स्थान हैं। भैरव बाबा को बालाजी की सेना का कप्तान माना जाता है। प्रेतराज सरकार भूत-प्रेतों, ऊपरी हवाओं को यहां दंड देते हैं। उनकी यहां कि यह धारणा विश्व में अनूठी और संभवत अद्वितीय है। तीन देव की उपस्थिति की धारणा को 21वीं सदी में मानने वाले भी करोड़ों में हैं। यहां नियमित पूजा क्रम करते हुए महंत की 12 पीढ़ियां हो चुकी हैं। लेकिन अब से पहले के महंत गणेशपुरी जी महाराज के समय इस स्थल और मंदिर की ख्याति देश-विदेश में फैली। वर्तमान महंत किशोरपुरी जी 1970 के समय अच्छे रूप में बने मंदिर को अब किशोरपुरी जी और ट्रस्ट ने नया रूप दे दिया है, जो आज की आवश्यकताओं के अनुरूप है। जय बालाजी महाराज। -अनिल नरेन्द्र

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