Wednesday, 2 December 2020
बड़ी मुश्किल से मिलती है मनरेगा मजदूरी
मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को उनकी मजदूरी के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यही नहीं, इन मजदूरों को न सिर्फ बायोमैट्रिक आथेंटिकेशन फेल होने से मुश्किलों का बहुत सामना करना पड़ रहा है। मजदूरी की रकम निकालने के लिए बैंक पहुंचने के करीब चार घंटे बाद पैसे हाथ आ पाते हैं। अजीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी और लिबटेक के साझा सर्वे में यह जानकारी निकल कर सामने आई है। यह सर्वे आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान में किया गया है। इसमें 1947 लोगों से मनरेगा की मजदूरी बैंकिंग सिस्टम के जरिये निकालने पर राय मांगी गई थी। मजदूरों को कंज्यूमर सर्विस प्वाइंट या फिर बैंकिंग कार्सपांडेंट के जरिये रकम निकालने वालों को बायोमैट्रिक आथेंटिकेशन की मुश्किल से गुजरना पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक करीब 40 प्रतिशत मजदूरों को पांच में से एक लेनदेन में आथेंटिकेशन फेल होने का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सात प्रतिशत लोगों का यहां तक कहना है कि उनके पिछले पांच लेनदेन फेल हुए हैं। सर्वे में लोगों ने बताया कि राजस्थान में करीब 33 प्रतिशत, झारखंड में 20 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में करीब सात प्रतिशत मजदूरों को अपने बैंक खाते को आधार से जोड़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इस सर्वे के दौरान पता चला है कि मजदूरों में बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी जानकारियों का भी भयंकर अभाव था। आंध्र प्रदेश में 65 प्रतिशत, झारखंड में 50 प्रतिशत और राजस्थान में 97 प्रतिशत लोगों को यह पता नहीं था कि वो महीने में कितने लेनदेन कर सकते हैं। खाता एक्टिव रखने के लिए न्यूनतम बैलेंस जैसी जरूरी जानकारी भी आधे लोगों को नहीं पता।
-अनिल नरेन्द्र
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