Wednesday 13 February 2013

सॉफ्ट नेशन के कड़े डिसीजन का आमतौर पर अच्छा असर पड़ा है


 Published on 13 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
सरकार को बड़ी चिन्ता थी कि अगर अफजल गुरू को फांसी दी गई तो उसका जनता खासकर अल्पसंख्यक वर्ग में बहुत भारी रिएक्शन होगा। इसी वजह से यह मामला लटका रहा पर सरकार ने तब थोड़ी राहत की सांस जरूर ली होगी जब कश्मीर घाटी को छोड़कर और कहीं भी देश में कोई रिएक्शन नहीं नजर आया। हां रिएक्शन तो हुआ कई जगहों  में मिठाइयां बंटी। हमें यह जानकर खुशी भी हुई और संतोष भी हुआ कि इस्लामिक संगठनों ने भी अफजल की फांसी को सही ठहराया है। इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम समेत उलेमा ने संसद हमले के आरोपी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने का स्वागत किया। शनिवार को अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के मामले में दारुल उलूम की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जनसम्पर्प अधिकारी अशरफ उस्मानी ने कहा कि हिन्दुस्तान सैक्यूलर मुल्क है और अफजल गुरू को फांसी देकर कानून ने अपना काम किया है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के कानून पर उन्हें  पूरा यकीन है इसलिए असूली बात यह है कि हिन्दुस्तान की हिफाजत के लिए जो भी लोग खतरा हैं उन्हें इसी अंदाज में फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। अफजल गुरू के शव को लेकर अफजल के परिवार ने जो हो-हल्ला किया वह हमारी राय में ठीक नहीं था। भारत के इतिहास में यह चौथा मौका है जब किसी आतंकी को फांसी देने के बाद उसका शव जेल में ही दफना दिया हो या अंतिम संस्कार कर दिया गया हो। मकबूल भट्ट, सतवंत सिंह, केहर सिंह, अजमल आमिर कसाब किसी का भी शव नहीं दिया गया। यही नहीं जब अंग्रेजों का शासन था तो मेरे ताऊ जी वीरेन्द्र जी ने बताया था कि भगत सिंह को फांसी देने के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार जेल परिसर में ही कर दिया गया था, बाहर इंतजार कर रहे भगत सिंह के परिवार वालों को नहीं दिया गया था। सवाल उठता है कि फांसी के बाद शव पर किसका अधिकार हो। प्रख्यात कानूनविद् आरएस सोढी कहते हैं कि ऐसे मामले में शव पर सरकार का अधिकार होता है और यही दलील सतवंत सिंह और केहर सिंह के मामले में भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी। रिएक्शन की बात कर रहे हैं तो गुरू को फांसी देकर यूपीए सरकार ने देश से बाहर वालों को स्पष्ट संदेश दिया है कि बेशक हम एक सॉफ्ट स्टेट कहे जाएं पर हम बड़े फैसले भी कर सकते हैं। जहां तक देश के अन्दर आतंकवादी है या शातिर अपराधी उन्हें भी सरकार ने कड़ा संदेश दिया है। अपनी मौत का इंतजार कर रहे खूंखार आतंकी देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर गुरू की फांसी के बाद से विचलित है। उसके परेशान होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शाहदरा के मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान में इलाज करा रहे इस आतंकी ने शनिवार  को नाश्ता तक नहीं लिया। नई दिल्ली में रायसीना रोड युवक कांग्रेस के दफ्तर के बाहर 1993 में 35 किलो आरडीएक्स के साथ देवेन्द्र सिंह भुल्लर ने कार बम से विस्फोट किया था जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे जिनमें एमएस बिट्टा भी घायल हुए थे। यही नहीं वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपियों की सजा की मांग चारों ओर हो रही है। इसी बीच तिहाड़ जेल-3 में अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने के बाद जैसे ही यह खबर तिहाड़ जेल में फैली कैदी सन्न रह गए। वहीं सामूहिक दुष्कर्म कांड के कैदियों का भी दिल दहल गया। गौरतलब है कि इस घिनौने कांड के पांच आरोपी तिहाड़ में बन्द हैं। इनमें से दो कैदी अक्षय व मुकेश जेल-4 में व दो कैदी पवन व विनय जेल-7 में बन्द हैं। जबकि राम सिंह उसी जेल-3 के कसूरी वार्ड में बन्द है, जिस जेल में अफजल गुरू बन्द था। सूत्र बताते हैं कि अफजल को फांसी के बाद दोषी काफी डरे हुए हैं। कुल मिलाकर अच्छा मैसेज ही गया है।

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