Sunday, 17 February 2013

अनुष्का शंकर का `वन बिलियन राइजिंग' अभियान रंग लाया



 Published on 17 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
जब मेरे पास भारत रत्न से सम्मानित सितारवादक पंडित रविशंकर की बेटी अनुष्का शंकर का एक ई-मेल आया जिसमें अनुष्का ने खुलासा किया कि वर्षों तक उनका यौन शोषण होता रहा तो मुझे दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया। अनुष्का का संदेश साफ था कि बहुत हो चुका अब और नहीं। उन्होंने मुझे वन बिलियन राइजिंग नामक अभियान में अपनी स्वीकृति देने को कहा जो मैंने अविलम्ब दे दी। अनुष्का ने बताया कि बचपन में एक ऐसे व्यक्ति ने कई वर्षों तक उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया, जिस पर उनके मां-बाप बेहद भरोसा करते थे। बकौल अनुष्का एक आम महिला की तरह मुझे भी जबरन छूने, फब्तियां कसने जैसी कई तरह की छेड़खानी का शिकार होना पड़ा। उन्होंने कहा कि बच्ची होने के कारण इन चीजों से वह निपटना भी नहीं जानती थी। 31 वर्षीय सितारवादक ने गैंगरेप के बाद महिलाओं के खिलाफ जो ऑनलाइन अभियान वन बिलियन राइजिंग चलाया शायद उन्हें खुद भी यह अंदाजा नहीं होगा कि वह इतना सफल होगा। राजधानी दिल्ली में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, शोषण और हिंसा के खिलाफ गुरुवार को एक बार फिर से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सड़कों पर उतर कर वन बिलियन राइजिंग का समर्थन करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। महिलाएं माथे पर `बस औरतों पर हिंसा अब और नहीं' लिखी गुलाबी पट्टी बांधकर विरोध कर रही थीं। बलात्कार, हिंसा के लिए अकसर महिलाओं के छोटे पहनावे को जिम्मेदार ठहराने वाले लोगों को दिल्ली के संसद मार्ग पर अलग-अलग इलाकों से साड़ी, कुर्ता-पायजामा, सूट-सलवार, मिनी स्कर्ट पहनकर पहुंचीं  महिलाओं को देखना चाहिए था जो कह रही थीं कि पुरुषवादी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। इन कपड़ों के दिखाने के पीछे एक मात्र तर्प है कि महिलाएं किसी भी तरह कई कपड़े पहनती हैं तब भी हिंसा की शिकार होती हैं। विश्व स्तर पर आयोजित `वन बिलियन राइजिंग' अभियान हर साल आयोजित होता है, लेकिन इस बार वह अपने वास्तविक रंग में दिखाई दिया। साउथ एशिया स्तर पर इसके आयोजन में संगत और नागोरी जैसी करीब 70 संस्थाओं ने मिलकर काम किया। दिल्ली में इसे सफल बनाने के लिए पिछले छह महीनों से काम चल रहा था। 200 देशों में एक साथ चलाया गया है यह अभियान। 10 हजार से ज्यादा लोगों ने और 13 हजार संगठनों ने देशभर में इसे सफल बनाने का प्रयास किया है। `जागो रे दिल्ली जागो, बन्द करो अब बस करो औरतों पर हिंसा अब और नहीं हिंसा मुक्त जीवन जीने का अधिकार हमारा' जैसे जोश भरे नारों व गानों के साथ शुरू हुई संगीतमय `वन बिलियन राइजिंग' मुहिम में शामिल कई चेहरे चाहे एक-दूसरे से अनजान थे लेकिन सभी की मांगें और कोशिश एक थी। इस मुहिम के जरिए पूरी दुनिया से वे कहना चाहती थीं कि महिलाओं को बराबरी और समानता के साथ हिंसा मुक्त जीवन जीने का अधिकार है। वैलेंटाइन डे पर आयोजित इस मुहिम को बाकी प्रदर्शनों की तरह सिर्प विरोध का नजरिया नहीं बनाया गया बल्कि विश्वभर में महिलाओं के हक और सुरक्षा के लिए साथ आए लोगों की एकता व सतर्पता के जश्न के तौर पर मनाया गया। अनुष्का अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सितारवादक स्वर्गीय पंडित रविशंकर की बेटी हैं। उनके इस खुलासे से कुछ बेहद महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर रोशनी पड़ती है। पंडित रविशंकर किसी गरीब, अशिक्षित और संयुक्त परिवार के सदस्य नहीं थे। उनकी बेटी ऐसे सम्पन्न और सम्भ्रांत माहौल में पल रही थी जिनका एक पांव भारत में और दूसरा विदेश में होता है।  लेकिन अनुष्का के इस रहस्योद्घाटन से यह साफ होता है कि बच्चियों के यौन शोषण की प्रवृत्ति कुछ खास तरह के समाज या माहौल तक सीमित नहीं है, यह तथाकथित ऊंची सोसायटी में भी मौजूद है। दूसरा पक्ष यह है कि यह खुलासा इस आम धारणा को भी गलत साबित करता है कि कला-संस्कृति आदि से जुड़े लोग हिंसा, अपराध और शोषण जैसी मानसिक बीमारियों से मुक्त होते हैं। हालांकि अनुष्का ने उस विश्वासी आदमी की पहचान जाहिर करने से परहेज किया है,बावजूद इसके वे बधाई की पात्र हैं। पब्लिक की नजरों में सेलिब्रेटी का दर्जा पा चुके लोगों में से बहुत कम ऐसे होंगे, जिन्होंने आप-बीती को समाज के सामने इतनी बेबाकी से रखा है। जो साहस अनुष्का ने दिखाया है उम्मीद है कि इससे प्रेरणा लेकर बाकी भी भुक्तभोगी महिलाएं सामने आएंगी। हमारा फर्ज बनता है कि हम अनुष्का के इस अभियान का समर्थन करें और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों को रोकने के लिए अपनी आवाज बुलंद करें। दुख से कहना पड़ता है कि इतना कुछ हो जाने के बावजूद दिल्ली आज भी महिलाओं के लिए सेफ सिटी नहीं है और यह मैं अकेले ही नहीं कह रहा, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को पत्र  लिखकर शिकायत की है कि दिल्ली में कानून व्यवस्था खासकर महिलाओं की सुरक्षा संतोषजनक नहीं है।

1 comment:

  1. इस मुखरता के अपने मायने हैं..... पर इसे सही दिशा मिले तो..... सधा सटीक लेख

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