Wednesday 6 February 2013

तेजी से गिरता अखिलेश सरकार की लोकप्रियता का ग्रॉफ


 Published on 6 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
 जिस जोश, उत्साह और नई उम्मीदें लेकर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जीत दर्ज की थी वह धीरे-धीरे हवा में उड़ती जा रही है। अखिलेश यादव की सरकार की परफार्मेंस से आज सभी निराश हैं। बॉलीवुड की किसी फिल्म की तरह अपनी ही करतूतों से समाजवादी पार्टी की छवि पर बट्टा लगा रहे पार्टी के सांसदों, विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आज उत्तर प्रदेश की जनता को बुरी तरह गुमराह किया है और उनमें मायूसी छाई हुई है। अखिलेश यादव अपने बुजुर्ग, रिश्तेदारों (चाचाओं, ताऊ) के  चलते बिल्कुल निक्रिय साबित हो रहे हैं। यही नहीं रही-सही कसर प्रदेश के नौकरशाह पूरी कर रहे हैं। क्रांति रथ पर सवारी कर पूर्ण बहुमत हासिल करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद ऐसे सफेदपोशों से खासे परेशान हैं और उनसे पार पाने के ठोस रास्ते तलाश रहे हैं। खबर है कि पार्टी आलाकमान ने ऐसे लगभग 800 नेताओं  से मुक्ति पाने का मन बना लिया है। राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव और सांसद जयंत चौधरी ने कहा कि बसपा और सपा की कार्यप्रणाली में कोई फर्प नहीं है। सपा में परिवारवाद और जातिवाद का बोलबाला है। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज उत्तर प्रदेश विकास के मामले में  दूसरे राज्यों से पिछड़ रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसानों की हालत बहुत ज्यादा खराब है। उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सरकार व पार्टी की गिरती छवि से परेशान हैं और पार्टी की छवि को अपनी करतूतों से धब्बा लगा रहे सांसदों, विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की सूची बनाने की जिम्मेदारी मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दी है। इसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव, मो. आजम खान और कुछ वरिष्ठ नेताओं की एक सात सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति ने पार्टी की छवि के लिए भस्मासुर साबित हो रहे करीब आठ सौ नेताओं को अब तक खोज निकाला है। इन पर ट्रैक्टर कब्जा करना, पड़ोसी की जमीन कब्जाना, उस पर अपना स्कूल बनाना, पिता-पुत्र को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देकर उनको मकान बेचने के लिए मजबूर करने सरीखे अपराध दर्ज हैं। दूसरी ओर सपा सरकार और पार्टी दोनों उत्तर प्रदेश की ब्यूरोकेसी से परेशान हैं और अब इनका ओवरहालिंग का प्लान बनाया गया है। खुद मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश सरकार को ब्यूरोकेसी की ओवरहालिंग करने की सलाह दी है। बुधवार को लखनऊ में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि दोषी पाए जाने पर बड़े अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में रुचि न लें और उनकी चापलूसी करने से भी बचें। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अफसरों को यह भ्रम हो गया है कि सरकार वह चला रहे हैं। आजम खान ने तो यहां तक कह दिया कि प्रदेश के ऐसे अधिकारी डंडे के आदी हो चुके हैं। चाबुक चलती है तो काम करते हैं। उन्होंने भ्रष्ट व मनमानी कर रहे अफसरों पर शिकंजा कसने के लिए कार्यकर्ताओं को स्टिंग ऑपरेशन करने का सुझाव दिया। मुलायम ने कहा कि बसपा सरकार की संस्कृति के प्रदूषण से बहुत से अफसर बेलगाम हो गए हैं। इनकी ओवरहालिंग होगी तभी ये जनता और कार्यकर्ताओं की सुनेंगे। अपनी लीलाओं से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सरकार की गिरती छवि के लिए प्रदेश के नौकरशाहों को कसूरवाद ठहरा रहे हैं और प्रदेश सरकार सौ जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों का तबादला करने जा रही है। सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने लगभग चालीस  जिलों के जिलाधिकारियों और इतने ही जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के स्थानांतरण की एक सूची तैयार की है। प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां के डीएम और एसएसपी एक साथ बदले जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो यह प्रदेश की नौकरशाही के इतिहास में पहली घटना होगी जब कई जिलों के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के बिस्तर एक साथ बंधेंगे। देखना यह होगा कि महज नौकरशाहों को इधर-उधर करने से क्या अखिलेश यादव सरकार की छवि सुधरेगी? यह ग्रॉफ इतनी तेजी से नीचे आ रहा है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं को इस पर गहन विचार करना होगा। अब ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो यह कहने लगे हैं कि इस सरकार से तो बहन जी की सरकार ही बेहतर थी।





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