Saturday 9 February 2013

हैट्रिक बनाने के बाद मोदी की पहली दिल्ली यात्रा



   Published on 9 February, 2013   
अनिल नरेन्द्र
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में चुनावी जीत की हैट्रिक बनाने के बाद बुधवार को पहली बार राजधानी दिल्ली आए। दिल्ली आते ही उन्होंने भारत के नए एजेंडे का ट्रेलर दिखा दिया। बुधवार को दिल्ली के क्षितिज पर अपनी चमक बिखेर कर साफ कर दिया कि देश की कमान थामने की उनकी पुख्ता तैयारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अपने व्याख्यान में उन्होंने गुजरात के विकास के मॉडल को पेश करते हुए साफ संदेश दिया कि विकास की ऊंची उड़ान और युवा ही भारत की तकदीर बदलेंगे। उन्होंने जिस अंदाज में भाषण किया, उससे यह लगा नहीं कि यह वही मोदी हैं जिनकी राजनीतिक पहचान एक आक्रामक हिन्दुत्ववादी नेता के रूप में बनी हुई है। एक दौर में वे बात-बात पर हिन्दुत्व राजनीति के पक्ष में कोई न कोई विवादित टिप्पणी जरूर कर देते थे। लेकिन अब वे अपना सियासी चेहरा पूरी तौर पर बदलने को तैयार हैं। वे चाहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान `विकास पुरुष' के रूप में हो। क्योंकि उनके नेतृत्व में गुजरात सरकार ने विकास का एक नया मॉडल देश के सामने प्रस्तुत कर दिया है। पिछले कई महीनों से नरेन्द्र मोदी ने बदली रणनीति के अनुसार अपना फोकस युवाओं को रिझाने में लगा दिया है। जिस हॉल में स्टूडैंट मोदी को सुनने के लिए एकत्र हुए थे उसमें तिल रखने की जगह भी नहीं बची थी। हालांकि मीडिया की दिलचस्पी के चलते सम्भवत वह इस प्रोग्राम के जरिए देशभर के लोगों तक पहुंच बनाने में कामयाब रहे। मोदी का मैसेज बिल्कुल साफ था। उन्होंने कहा कि इंडिया बड़ी चीज कर सकता है और देश के युवा इसकी तकदीर बदल सकते हैं। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर तो नहीं कहा, लेकिन उनका मतलब था कि मोदी देश में यह बदलाव लाने में मददगार हो सकते हैं। उन्होंने पिछले महीने हुए वाइब्रैंट गुजरात समिट का जिक्र करते हुए कहा, `देश के जीडीपी का 50 फीसदी एक छत के नीचे था।' आधी बांह वाला कुर्ता पहने और गले में  ब्लैक स्टोल के साथ वे ट्रेडमार्प स्टाइल में दिखे। पानी से आधे भरे ग्लास के साथ वे सम्बोधन के लिए माइक की तरफ बढ़े। इससे हॉल में मौजूद लोगों में थोड़ी कानाफूसी हुई हालांकि जल्दी यह साफ हो गया कि जिसे कई लोग प्राइम मिनिस्टर कैंडिडेंट मानते हैं। उन्होंने हाथ में ग्लास क्यों पकड़ा था। मोदी ने कहा कि कुछ लोग इसे आधा भरा और कुछ इसे आधा खाली कहेंगे। हालांकि इसे देखने का मेरा एक तीसरा ही नजरिया है ः यह ग्लास आधा पानी और आधा हवा से भरा है। वह संकेत देना चाहते थे कि निराशा से भरे देश में उन्हें पूरी उम्मीद है। उन्होंने स्टूडैंट्स से कहा, `लोग इंडिया में जन्म लेने को श्रॉप के रूप में देखते हैं। युवा पढ़ाई पूरी करते ही देश छोड़ना चाहते हैं। हालांकि वह इसे अलग तरीके से देखते हैं।' उन्होंने कहा, `इन्हीं कानूनों, इसी संविधान, इन्हीं नियमों, इन्हीं अफसरों, इन्हीं लोगों और फाइलों के साथ हम आगे बढ़ सकते हैं। हम बहुत कुछ कर सकते हैं। मुझे भरोसा है कि हम चीजों को बदल सकते हैं। हमारे युवाओं ने दुनियाभर में भारत की इमेज बदली है।' मोदी के इन जुमलों पर खूब तालियां बजीं। बदले-बदले नए अंदाज वाले मोदी का जादू छात्रों पर जरूर दिखा। नरेन्द्र मोदी की जीत के बाद पहली यात्रा में राजनीति भी झलकी। हालांकि वे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्रों को सम्बोधित करने आए थे पर उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से औपचारिक मुलाकात करके गुजरात के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने की सियासी चाल भी चली। गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी की प्रधानमंत्री से यह पहली औपचारिक मुलाकात थी। मोदी ने कहा कि मुलाकात में केंद्र द्वारा की जा रही प्रदेश की उपेक्षा पर चर्चा हुई। केंद्र, गुजरात की लम्बित कई योजनाओं पर निर्णय नहीं ले रहा है जिससे प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा है। पीएम से मिलने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। इस बारे में मोदी ने कहा कि वे जोशी से आशीर्वाद लेने गए थे। सूत्रों के अनुसार आधे घंटे चली इस मुलाकात पर आगे की रणनीति पर चर्चा की। मोदी इसके पहले पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से दो घंटे की मुलाकात कर चर्चा में बने रहे थे। मोदी की पहली दिल्ली यात्रा सफल रही। उन्होंने अपने आपको एक विकास पुरुष की तरह स्थापित करने का प्रयास किया जिसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे।

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