Published on 16 February, 2013
अनिल नरेन्द्र
भ्रष्टाचार के अनेक आरोपों से जनता का ध्यान भटकाने
के लिए यूपीए सरकार ने क्या-क्या नहीं किया पर घोटालों से इस सरकार का ऐसा संबंध है
कि यह पीछा ही नहीं छोड़ते। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे में घूस के सनसनीखेज
ताजा मामले के बाद घोटालों का जिन्न एक बार फिर यूपीए सरकार के सामने आ गया है। 2जी
स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल, आदर्श घोटालों इत्यादि के चलते भारी फजीहत झेल चुकी यूपीए
सरकार ने जिस तरीके से आर्थिक सुधारों से लेकर अफजल कसाब और अफजल गुरू की फांसी के
जरिए अपने सियासी ग्रॉफ को ऊपर ले जाने का काम शुरू किया था, उसके बाद एक बार फिर नीचे
गिरने की नौबत आ गई है। इटली में मंगलवार को 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा के हेलीकाप्टर
सौदे में घूस के मामले में वहां की एक कम्पनी के सीईओ की गिरफ्तारी से यूपीए सरकार
के गलियारों में सनसनी फैल गई है। यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब कांग्रेस इस साल कई
राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2014 में आम चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है और बजट
सत्र शुरू होने वाला है। जाहिर है कि विपक्ष को एक नया मुद्दा मिल सकता है। यह कितने
अफसोस की बात है कि भारत सरकार महज 12 हेलीकाप्टरों की खरीद भी ढंग से नहीं कर सकी।
इस संदिग्ध सौदे से एक बार फिर यह साबित हो रहा है कि तमाम बदनामी और रक्षा सौदों में
अनावश्यक देरी के बावजूद भारत सरकार ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बना सकी है जिससे रक्षा
सौदों में घपले-घोटाले की गुंजाइश से बचा जा सके। इस हेलीकाप्टर सौदे में दलाली के
लेन-देन की खबर आते ही जिस तरह मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के साथ ही सौदा रद्द
करने के संकेत दिए हैं और सरकार ने रक्षात्मक मुद्रा अपना ली है उससे दाल में कुछ काला
होने की पुष्टि होती है। इस सनसनीखेज रहस्योद्घाटन का दिलचस्प पहलू यह भी है कि इसका
पता इटली से ही चला। इटली में सत्ता परिवर्तन ने इस घोटाले का भंडाफोड़ किया। भारत
में तो शायद कभी भी इसका पता ही नहीं चलता। भारतीय वायुसेना के वीवीआईपी स्क्वाड्रन
के लिए 12 अगस्ता वेस्टलैंड 101 हेलीकाप्टरों का सौदा फरवरी 2010 में हुआ था। उस वक्त
इटली में सिल्वियो बर्लुस्कोनी की सरकार थी। उनकी गठबंधन सरकार में शामिल धुर दक्षिणपंथी
पार्टी `लेगा नोर्ड' पर आरोप था कि हेलीकाप्टर सौदे में बड़ी दलाली इस पार्टी को मिली
थी। बर्लुस्कोनी की सरकार बदल गई और इटली में मारियो मोंटी की सरकार बनी। इटली में
सत्ता परिवर्तन के साथ ही मामले का भंडाफोड़ हो गया। फिनमेक्कानिका में शीर्ष पद पर
आसीन लोरेंजा बोर्गोग्नी नामक व्यक्ति जो कि ओरसी से खार खाए हुए था, उसने हेलीकाप्टर
सौदे में दलाली खाए जाने की पोल खोल दी। इटली निवासी और भारत के रक्षा बाजार में गहरी
पकड़ रखने वाले कार्लो गरोसा और उसके स्विटजरलैंड निवासी बिजनेस पार्टनर गुइवो हश्के
के नाम प्रमुख तौर पर इस 362 करोड़ की दलाली में इटली की मीडिया में छाया हुआ है। जांचकर्ताओं
का कहना है कि कार्लो भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी से मिला था। उनकी
बैठक एयर चीफ मार्शल त्यागी के चचेरे भाई के घर हुई थी। हालांकि इस मामले में पूर्व
वायुसेना प्रमुख त्यागी का कहना है कि जब वह गरोसा से मिले तो सौदा हो चुका था। उन्होंने
किसी भी प्रकार की डीलिंग से साफ इंकार किया है। भारत में चर्चा का अहम मुद्दा यह है
कि 3600 करोड़ रुपए की इस डील में से बतौर कमीशन दस परसेंट जो कि 360 करोड़ रुपए बनता
है, वो किसे मिला? कौन है भारत का मिस्टर टेन परसेंट? शक की सूई सत्ता के गलियारों
में कई हस्तियों पर केंद्रित हो रही है। कुछ लोग कहते हैं कि एक विवादित राजनीतिक हस्ती
भी मिस्टर दस प्रतिशत है। इसे कुछ ताकतवर राजनीतिक लोगों के नजदीकी भी बताया जा रहा
है। फिलहाल अटकलें लग रही हैं सम्भव है कि इटली से ही इसका भी रहस्योद्घाटन हो। लगातार
बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए यह एक नया सिरदर्द आ गया है। चूंकि मामला कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी के मायके इटली से जुड़ा है इसलिए पार्टी जबरदस्त सदमे में आ गई
है। कांग्रेस रणनीतिकारों को इस घोटाले में बोफोर्स दलाली घपले का भूत दिखाई दे रहा
है जिसने उसके लोकप्रिय प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। मामले
की गम्भीरता को समझते हुए एक ओर जहां रक्षा मंत्री ने आनन-फानन में सीबीआई जांच बिठाने
और दोषियों को किसी हाल में न बख्शने की बात कही है वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी देश
को भरोसा दिलाया है कि इस जांच को लम्बा नहीं लटकाया जाएगा बल्कि एक निश्चित अवधि के
अन्दर ही घोटालेबाजों का पर्दाफाश कर दिया जाएगा। चाहे वह कितना बड़ा क्यों न हो। देखें,
घोटाले में आगे क्या-क्या निकलता है?
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