Sunday, 3 February 2013

परवेज मुशर्रफ की मक्कारी का एक और सबूत



 Published on 3 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तानी नेता चाहे वह राजनीतिज्ञ हों या फिर सैनिक अफसर अपनी बात से मुकरने, झूठी बातें करना, मक्कारी करने के लिए मशहूर व बदनाम हो चुके हैं। अब शायद ही दुनिया में किसी पाकिस्तानी लीडर पर यकीन होता है। एक बार फिर इस लम्बी श्रृंखला में पाकिस्तान बेनकाब हुआ है। पाकिस्तान के एक रिटायर्ड कर्नल ने अपनी किताब `विटनेस टू ब्लंडर ः कारगिल स्टोरी अनफोल्ड्स' में सनसनीखेज खुलासा किया है कि कारगिल जंग के खलनायक और पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ ने न केवल भारत के खिलाफ जंग की योजना बनाई थी बल्कि दोनों देशों के बीच बनी नियंत्रण रेखा (एलओसी) को भी पार किया था। सेवानिवृत्त कर्नल अशफाक हुसैन कारगिल युद्ध के दिनों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जनसम्पर्प विभाग आईएसपीआर में डिप्टी डायरेक्टर थे। उन्होंने किताब में इस युद्ध को मुशर्रफ की बड़ी भूल करार देते हुए लिखा है ः 28 मार्च 1999 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल परवेज मुशर्रफ अपने कुछ अधिकारियों के साथ जकारिया पोस्ट गए थे, जो नियंत्रण रेखा (एलओसी) से 11 किलोमीटर आगे है। यानी कि यह भारत का हिस्सा है। इस पोस्ट पर तब 12 नार्दन लाइट इन्फैंट्री ने कब्जा कर रखा था। उल्लेखनीय है कि मई से जुलाई 1999 तक दोनों देशों के बीच कारगिल युद्ध हुआ था। जिसमें भारतीय जवानों ने पाकिस्तानियों को धूल चटा दी थी। पाकिस्तान को न केवल कारगिल में हार का मुंह देखना पड़ा था बल्कि सारी दुनिया में पाकिस्तानी सेना की थू-थू हुई थी। उन दिनों में जनरल मुशर्रफ एलओसी का उल्लंघन कर कारगिल के एक बंकर में रात रहे। ये दिन 19 फरवरी, 1999 को शुरू हुई बस `सदा-ए-सरहद' के तकरीबन एक महीने बाद के ही दिन थे। यानी इधर अटल बिहारी वाजपेयी और उधर नवाज शरीफ जब अमन की राह पर बढ़ रहे थे, तब मुशर्रफ कारगिल की बर्फीली पहाड़ियों पर बोए गए अपने खूनी बीजों की अंतिम सिंचाई कर रहे थे। मुशर्रफ के कारगिल में रहने के इस रहस्योद्घाटन से पाक में एक वर्ग मुशर्रफ के इस साहस या दुस्साहस के लिए वाहवाही कर सकते हैं पर 1962 में नहीं, 1999 में हुआ यह दुस्साहस हमारे सिस्टम पर भी तो बड़ा सवाल खड़ा करता है। हमारी सेना की इंटेलीजेंस, सीआईडी व अन्य गुप्तचर एजेंसियां सो रही थीं? दुश्मन का जनरल 11 किलोमीटर सरहद के अन्दर घुस आए और हमें पता तक नहीं चले? यही 1962 में भी हुआ था जब चीनी नार्थ ईस्ट में घुस आए थे और हमें मुंह की खानी पड़ी थी। बस गनीमत 1999 में यह रही कि भारतीय सेना ने अद्भुत साहस व इच्छाशक्ति दिखाते हुए कारगिल से पाकिस्तानियों को मार-मार कर भगा दिया। जाते-जाते वह अपने सैनिकों के शव तक छोड़ गए। ताजा रहस्योद्घाटन से पाकिस्तान के अन्दर भी हलचल होना स्वाभाविक है। जानकारों के अनुसार खुद मुशर्रफ पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। जनरल अजीज के बयान के बाद मुशर्रफ ने दावा किया है कि आपरेशन कामयाब था, यदि नवाज शरीफ अमेरिका नहीं जाते तो पाक सेना कारगिल के नतीजतन भारत का 300 वर्ग मील एरिया कब्जा लेती। यह वैसा ही गलत दावा है जैसे कभी जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत से हजार साल तक लड़ने का किया था और 1971 में उनके 93 हजार सैनिक हथियार डाल गए थे। मुशर्रफ वैसे ही कई मुसीबतों में फंसे हैं। बेनजीर भुट्टो मर्डर केस में वांटेड हैं। पाक सरकार ने इंटरपोल से मुशर्रफ को पकड़कर पाक भेजने को कहा है। कानूनी पचड़े के कारण मुशर्रफ पाकिस्तान लौट नहीं पा रहे हैं। अब नवाज शरीफ की पार्टी और अन्य संगठनों ने कारगिल युद्ध के प्लान और आपरेशन के बारे में ज्यूडिशियल इंक्वायरी की मांग की है। मांग तो यह भी उठने वाली है कि कारगिल में मारे गए पाक सैनिकों के मुद्दे की जांच कराके सही संख्या सामने लाई जाए। यानी सैकड़ों सैनिकों के इस तरह से मारे जाने के लिए मुशर्रफ को जिम्मेदार ठहराकर एक और मुकदमा चल सकता है।

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