Saturday 23 February 2013

कैमरन की यात्रा से भारत-ब्रिटेन के आपसी रिश्ते और मजबूत होंगे



 Published on 23 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड  कैमरन तीन दिन की भारत यात्रा पर आए थे। यह उनकी दूसरी भारत यात्रा थी। व्यापारिक संबंध और प्रगाढ़ बनाने की इच्छा जताते हुए कैमरन ने भारतीय कारोबारियों और विद्यार्थियों के लिए वीजा पाने की प्रक्रिया को आसान बनाने की घोषणा के अलावा यह भी कहा कि ब्रिटेन में रह रहे भारतीय छात्रों को और रियायतें दी जाएंगी। उन्होंने भारत से विशेष संबंध बनाने की इच्छा भी जाहिर की, जो अतीत से नहीं, भविष्य से परिभाषित है। इससे भारत में ब्रिटेन की बढ़ती व्यापारिक दिलचस्पी भी जाहिर होती है। पिछले हफ्ते फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसको होलेंड के भी भारत आने के पीछे यही खास वजह थी। दरअसल यूरोप आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में यूरोपीय देशों को भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में अपने लिए बाजार मिलने और इस तरह अपनी मुश्किलें कम होने की उम्मीद दिखती है। यूरोपीय संघ विदेश व्यापार में भारत का प्रमुख साझेदार रहा है, फिर ब्रिटेन से वैसे भी उसका लेन-देन और भी अधिक रहा है। भारत में ब्रिटेन सबसे बड़ा यूरोपीय निवेशक है और यूरोप में भारतीय निवेश का करीब आधा अकेले ब्रिटेन में है। कैमरन 2010 में जब यहां आए थे तब ब्रिटेन की आर्थिक हालात और खराब थी। उन्होंने ब्रिटेन में भारत की मदद से ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की अपनी इच्छा को खुलकर स्वीकार किया था। इस यात्रा में भी वह भारत की आर्थिक प्रगति के तमाम कसीदे पढ़ गए हैं। आज ब्रिटेन वह महाशक्ति नहीं है, जो वह 19वीं और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में था। लेकिन भारत के इतिहास में उसकी गहरी उपस्थिति है और वह हमारे लिए लम्बे वक्त तक महत्वपूर्ण बना रहेगा। ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का जलियांवाला बाग जाना इसी साझा इतिहास को रेखांकित करता है। हालांकि कैमरन जलियांवाला बाग गए और उन्होंने जलियांवाला बाग गोली कांड को अंग्रेजी इतिहास का बहुत शर्मनाक अध्याय बताया पर उन्होंने 94 साल पहले 13 अप्रैल, 1919 को जनरल डायर द्वारा किए गए इस नरसंहार पर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी। 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार स्थल पर जाने वाले कैमरन पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए ब्रिटिश प्रधानमंत्री है। घटनास्थल पर कैमरन ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और हाथ जोड़कर एक मिनट का मौन रखकर सम्मान प्रकट किया। जलियांवाला बाग में आगंतुक पुस्तिका पर कैमरन ने लिखा कि ब्रिटेन के इतिहास में यह अत्यंत शर्मनाक घटना है। यह एक ऐसी घटना जिसे तब विंस्टन चर्चिल ने सही रूप में राक्षसी कृत्य करार दिया था। यहां जो कुछ भी हुआ वह हम भूल नहीं सकते। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ब्रिटेन दुनियाभर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार के समर्थन में खड़ा हो। कुछ संगठनों ने घटनास्थल पर यात्रा के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा माफी मांगने के लिए जोर भी दिया पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। कुल मिलाकर डेविड कैमरन की यह भारत यात्रा अच्छी रही और उम्मीद है कि भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों को और मजबूती मिलेगी।

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