Friday 8 February 2013

महापुंभ और राजनीति ः सभी फायदा उठाने के चक्कर में


 Published on 8 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
बुधवार रात को मैं एक टीवी चर्चा में भाग लेने गया था। चर्चा का विषय दिलचस्प था, महापुंभ और राजनीति। लम्बी और अच्छी चर्चा हुई। इसमें कोई संदेह नहीं कि इलाहाबाद में महापुंभ के इस महा समागम को राजनीतिक रंग दे दिया गया है। चर्चा हुई कि क्या धर्म और राजनीति को अलग-अलग करना चाहिए। अलग होना तो चाहिए। एक धार्मिक आयोजन को केवल धार्मिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए पर वास्तव में ऐसा होता नहीं और यह धारणा या सच्चाई केवल साधु-संतों तक ही सीमित नहीं है। हजारों वर्षों से ईसाइयों और इस्लाम की लड़ाई जारी है। आज जो जेहाद चल रहा है वह मौलवियों की देन है और इस्लाम धर्म को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है। चाहे वह सिख हो, हिन्दू हो, मुसलमान हो, ईसाई हों सभी समूहों में धर्म का विशेष स्थान रहा है। वैसे मेरी व्यक्तिगत राय में इलाहाबाद में महापुंभ को एक राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए था, इससे इसकी पवित्रता और उद्देश्य कुछ हद तक प्रभावित जरूर होते हैं पर कई हिन्दू संगठन हैं जो ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं जब करोड़ों हिन्दू एक स्थान पर एकत्र हों। विश्व हिन्दू परिषद तो खासतौर पर ऐसे अवसरों की प्रतीक्षा करती है। इसीलिए विश्व हिन्दू परिषद ने मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा को हिन्दुत्व के रास्ते पर लौटने के लिए बिगुल बजा दिया। पुंभ में विहिप की मार्गदर्शन बैठक में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने हिन्दुत्व पर जोर देते हुए एक बार फिर से अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे को उछाल दिया। महापुंभ में संतों के  बीच राजनाथ सिंह ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण राम जन्मभूमि पर ही होगा। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि भाजपा एक बार फिर हिन्दुत्व पर लौट रही है। मैं समझता हूं कि यह भाजपा की मजबूरी भी है। लोग राजग की बात करते हैं और कहते हैं कि अगर भाजपा ने हिन्दुत्व को आगे बढ़ाया तो फलाना समर्थक दल अलग हो जाएगा, फलाना राजग में शामिल नहीं होगा। मैं कहता हूं कि राजग का अस्तित्व तभी बचेगा जब भाजपा अपने दमखम पर 180-200 लोकसभा सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरेगी। आज स्थिति यह है कि भाजपा का पारम्परिक वोट बैंक टूट चुका है। इस वोट बैंक को पुन हासिल करने के लिए ही भाजपा ने एक बार फिर हिन्दुत्व का सहारा लिया है। रही बात भाजपा के साथ जुड़ने को और टूटने की तो मेरा मानना है कि आज न तो कोई दल मुद्दों की वजह से और न ही उसूलों, नीतियों की वजह से किसी गठबंधन में शामिल होता है, यह महज सत्ता सुख और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जुड़ता है और बिखरता है। अगर भाजपा नम्बर वन पार्टी नहीं बनी तो भूल जाए सत्ता को। उसे कोई दल सत्ता में नहीं आने देगा। सभी दलों के पास स्टैंडर्ड बहाना होगा सांप्रदायिक दल से हम नहीं जुड़ेंगे। इसलिए अगर भाजपा को सत्ता में आना है तो अपने दमखम पर 200 सीटों के लिए टारगेट करे। जब कांग्रेस ने देखा कि पुंभ को तो भाजपा-विहिप ने हाइजैक कर लिया है तो वह परेशान हो गई। इसलिए कयास लगाए जाने लगे हैं कि भाजपा के राजनाथ सिंह और नरेन्द्र मोदी की पुंभ यात्रा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी संगम में डुबकी लगाने की घोषणा कर सकते हैं। यही नहीं खबर यह भी है कि कांग्रेस उन संतों तक पहुंचने की कोशिश में लगी है जो अब तक भाजपा-विहिप की पहुंच से बाहर हैं। वैसे पुंभ का खासकर इस पुंभ का विशेष महत्व है। वर्षों बाद ऐसा योग बना है। करोड़ों हिन्दुओं के लिए महापुंभ में स्नान करना अति महत्वपूर्ण माना जाता है। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में विदेशों से भी सैकड़ों लोग भाग ले रहे हैं। पिछली बार जब पुंभ हुआ था तो सत्ता परिवर्तन हुआ था। देखें, इस बार भी क्या ऐसा होता है। हालांकि करोड़ों की भीड़ जा रही है पर कोई घटना नहीं हुई। इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश सरकार, पुंभ मेला प्रशासन सभी बधाई के पात्र हैं।

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