Tuesday 19 February 2013

और अब जंग होगी शीला दीक्षित बनाम विजय गोयल



 Published on 19 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली इकाई के प्रदेशाध्यक्ष को लेकर लम्बे समय से चल रही कशमकश अब समाप्त हो गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने तमाम विरोधों को नजरअंदाज करते हुए वरिष्ठ और कर्मठ भाजपा नेता विजय गोयल के नाम पर मोहर लगा दी है। श्री विजय गोयल एक और कर्मठ व जूझारू अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता की जगह यह महत्वपूर्ण पद सम्भालेंगे। विजय गोयल छात्र जीवन से ही भाजपा की सक्रिय राजनीति में रहे हैं। उन्होंने सदर बाजार से कांग्रेस दिग्गज जगदीश टाइटलर को चुनाव हराकर  पहला लोकसभा चुनाव जीता था, उसके बाद उन्होंने चांदनी चौक से निवर्तमान दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल को लगातार दो बार चुनाव में पराजित किया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्र में मंत्री रहते हुए महत्वपूर्ण दायित्व सम्भाले रहे और उनका कद काफी बढ़ा था। अध्यक्ष पद को लेकर चल रही दौड़ में अब भी यह कोशिश थी कि पार्टी को गुटबाजी से बचाने के लिए विधानसभा चुनाव तक विजेन्द्र गुप्ता को ही अध्यक्ष रखा जाए ताकि गुटबाजी पर अंकुश लगा रहे। अंतिम दौर में विजय गोयल और डॉ. हर्षवर्धन ही रह गए लेकिन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने विजय गोयल को चुना। डॉ. हर्षवर्धन पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं, विजय गोयल के अध्यक्ष बनने से दिल्ली के राजनीतिक समीकरण भी एक ही झटके में बदल गए हैं। चूंकि फिलहाल बीजेपी इस  बात पर विचार कर रही है कि दिल्ली में किसी को भी मुख्यमंत्री के रूप में  प्रोजेक्ट न किया जाए, ऐसे में विजय गोयल के अध्यक्ष बनने के बाद अगले विधानसभा चुनाव में लड़ाई शीला दीक्षित बनाम विजय गोयल हो सकती है। ऐसे में विजय गोयल के लिए यह चुनौती होगी कि एक ओर वह अपनी पार्टी में चल रही गुटबाजी पर कंट्रोल कैसे करते हैं और दूसरी ओर वह किस तरह से दिल्ली सरकार को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब रहते हैं। विजेन्द्र गुप्ता तमाम खूबियों के बावजूद कई नेताओं को साथ लेकर नहीं चल पा रहे थे। ऐसे में पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि शीला दीक्षित को चौथी बार रोकने के लिए ऐसे नेता को लाया जाए जो टक्कर दे सके। हालांकि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि विजय गोयल के मुकाबले शीला दीक्षित किसी भी प्रकार से कमजोर हैं लेकिन इतना जरूर है कि विजय गोयल के आने से कांग्रेस की चिन्ता जरूर बढ़ जाएगी। विजय गोयल के बारे में पार्टी नेतृत्व का मानना है कि उनकी जमीन से जुड़ी छवि और जुझारूपन कांग्रेस के लिए चुनौती जरूर पेश करेगा। वैसे इससे पहले भी विजय गोयल ही शीला दीक्षित सरकार के लिए परेशानी का सबब बनते रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स से लेकर बिजली के निजीकरण तक के मामलों के जरिए विजय गोयल ही दिल्ली सरकार को घेरते रहे हैं। उनकी यही जुझारू छवि उनके पक्ष में गई। नए अध्यक्ष के रूप में उनकी सबसे पहली चुनौती तो यही होगी कि दिल्ली में अपनी नई टीम बनाएं। चूंकि अब चुनाव के लिए 10 महीने से भी कम का वक्त बचा है ऐसे में उन्हें अपनी संतुलित टीम के लिए सबसे पहले माथापच्ची करनी पड़ सकती है। इसके साथ ही दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि कई टुकड़ों में बंटी पार्टी को एकजुट रखना। अध्यक्ष बनन् ाs पर विजय गोयल को बधाई।

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