Published on 7 February, 2013
अनिल नरेन्द्र
एक हिंदी दैनिक नेशनल दुनिया ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट
छापी है। पत्र का कहना है कि भगवा आतंकवाद और उससे जुड़े आरोपियों से रिश्तों के आरोप
में आरएसएस की भूमिका साबित करने के लिए एनआईए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लेने
के लिए अभियुक्तों को एक-एक करोड़ देने का पलोभन दे रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं।
बल्कि मालेगांव, मक्का मस्जिद, समझौता एक्सपेस ट्रेन आदि स्थानों पर हुए विस्फोटों
के सिलसिले में पकड़े गए अभियुक्त-आरोपी कह रहे हैं। इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश
जयपुर की कोर्ट में चल रही है। अभियुक्त मुकेश वासवानी और हर्षद सोलंकी की ओर से वकील
कुलदीप गौड़ एवं भूपेश सिंह द्वारा दाखिल पार्थना पत्र में कहा गया है कि एनआईए के
अधिकारियों ने केन्द्राrय कारागृह जयपुर में अभियुक्तों को उनके बैरेक से बुलाकर
16 अपैल से 18 अपैल 2012 में पूछताछ की थी। इस दौरान सोलंकी पर यह दबाव बनाया गया कि
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का नाम लेते हुए यह कहे कि
उनके कहने से सुनील जोशी की हत्या की गई। आरोप लगाया गया कि एनआईए के अधिकारियों ने
मुकेश वासवानी और सोलंकी को विभिन्न पकार से धमकाया व पलोभन दिया कि पत्येक को एक-एक
करोड़ रुपए देंगे तथा उन्हें सभी आपराधिक मामलों से मुक्त कर दिया जाएगा। ऐसी ही शिकायतें
अजमेर और भोपाल की कोर्ट में भी अन्य विचाराधीन बंदियों से दर्ज की है। विचाराधीन बंदियों
के पार्थना पत्रों की पतियां बांटी गई हैं। स्वर्गीय सुनील जोशी पर आरोप है कि मालेगांव
और देश के अन्य हिस्सों में धमाकों में उनकी भूमिका थी। जोशी पर यह भी आरोप है कि उसका
मालेगांव धमाकों के आरोप में गिरफ्तार साध्वी पज्ञा ठाकुर से नजदीकी रिश्ता था। मुकेश
और सोलंकी को अजमेर परिसर में हुए विस्फोट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यदि अभियुक्तों
ने संघ अधिकारियों का नाम जोशी की हत्या के सिलसिले में ले लिया तो जांच एजेंसियों
के पास जोशी की हत्या और इस कांड से भगवा आतंकवाद और संघ नेताओं से संबंध जोड़ने का
ठोस आधार मिल जाएगा। क्या इसका यह मतलब भी निकाला जाए कि अभी तक एनआईए को इन विस्फोटों,
सुनील जोशी की हत्या में संघ का हाथ होने का ठोस सबूत नहीं मिल सका है? हिंदू आतंकवाद
में संघ परिवार को जबरन फंसाने के लिए रची जा रही साजिश के मुद्दे पर भाजपा आगामी बजट
सत्र में दोनों सदनों में उठाने में जुट गई है। यह घोषणा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह
ने खुद की है। राजनाथ ने कहा कि अगर संघ में आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जाती है तो केन्द्र
इस पर पतिबंध क्यों नहीं लगा देती? उन्होंने कहा कि केन्द्र के मंत्री गलत पचार बंद
करें और किसी को झूठे आरोप में न फंसाएं। जबकि कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित ने कहा
कि अपने बचाव में हर व्यक्ति कुछ न कुछ कह सकता है। मामला कोर्ट में चल रहा है इसलिए
इसे अब एनआईए और कोर्ट ही जाने। कांग्रेस के एक अन्य सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि
गृहमंत्री शिंदे ने यह जरूर कहा है कि कुछ लोगों के संबंध संघ से संबंधित पाए गए हैं।
इस बात से सहमत हुआ जा सकता है लेकिन यह कहना उचित नहीं कि संघ के शिविरों में आतंकवाद
को बढ़ावा दिया जा रहा है। इंदौर से वरिष्ठ भाजपा सांसद सुमित्रा महाजन ने आरोप लगाया
कि एटीएस और एनआईए के लोगों ने इंदौर से जिस दिलीप पारीदार को पकड़ा है उसका आज तक
कोई पता नहीं लगा। महाजन ने कहा कि लगता है कि एनआईए देश के कानून के बिना काम कर रही
है। कायदे से बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए, न ही तलाशी
लेने पर गिरफ्तारी करते वक्त किसी संगठन या राजनीतिक दल पर दोषारोपण करना चाहिए। जब
तक कि उसे कोई ठोस सबूत नहीं मिले हों। अब मामला अदालत में है और जल्द पता चल जाएगा
कि यह भगवा आतंकवाद है या नहीं?
No comments:
Post a Comment