Published on 15 February, 2013
अनिल नरेन्द्र
राज्यसभा के उपसभापति और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रो.
पीजे कुरियन आजकल गलत कारणों से सुर्खियों में बने हुए हैं। कुरियन साहब का नाम एक
बलात्कार कांड से जुड़ रहा है। श्रीमान पर आरोप लगाया जा रहा है कि आप सूर्यनेल्ली
बलात्कार कांड में शामिल हैं। पहले बता दें कि मामला आखिर है क्या? रिपोर्ट के मुताबकि
16 जनवरी 1996 को सूर्यनेल्ली ने राजू नाम
के एक युवक के साथ आडिमाली से कोथामंगलम जाने वाली बस पकड़ी। बस में एक अनजान महिला
ऊषा से उसकी मुलाकात हुई जो उन पर पहले से ही नजर बनाए हुए थी। कोथामंगलम तक पहुंचते-पहुंचते
रात 8.40 बज गए। इस बीच राजू बस से गायब हो गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह सब एक
साजिश का हिस्सा था। इतनी रात गए सूर्यनेल्ली अकेली घर नहीं लौट सकती थी इसलिए उसने
कोटयम में रहने वाले एक रिश्तेदार के पास जाने का मन बनाया। लेकिन जब वह रिश्तेदार
के घर पहुंची तो घर पर कोई मौजूद नहीं था। तभी ऊषा वहां आई और सूर्यनेल्ली को उसके
नाम से बुलाया। ऊषा ने सूर्यनेल्ली को श्री कुमार नाम के एक व्यक्ति से मिलाया और कहा
कि ये तुम्हें मुंडवकायम तक छोड़ देंगे। श्री कुमार सूर्यनेल्ली को एक लांज में लेकर
गया, कथित तौर पर उसने वहां सूर्यनेल्ली के साथ बलात्कार किया। बाद में श्री कुमार
की पहचान वकील एसएस धर्मराजन के नाम से की गई। सूर्यनेल्ली को 17 जनवरी को बस से धर्मराजन
कोच्चि ले गया, जहां से बाद में उसे केरल के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया। इस दौरान
उसके साथ 50 लोगों ने बलात्कार किया और यह सिलसिला 40 दिनों तक चला। अब आती है प्रो.
कुरियन की इन्वाल्वमेंट। वर्ष 1996 में कुरियन केंद्रीय राज्यमंत्री थे। 26 मार्च,
1996 को सूर्यनेल्ली ने पीजे कुरियन की तस्वीर देखी और उसे बलात्कारियों में से एक
बताया। सूर्यनेल्ली के मुताबिक 19 फरवरी को कुमारी गेस्ट हाउस में कुरियन ने उसका बलात्कार
किया। 15 मार्च 1999 को सूर्यनेल्ली के परिवार ने इडुकी के मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्राइवेट
पेटिशन दायर की। कोर्ट ने कुरियन को समन जारी किया लेकिन कुरियन हाई कोर्ट पहुंच गए
और मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया गया। केरल की सीपीएम सरकार ने कुरियन
को राहत देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 17 नवम्बर 2007 को सुप्रीम
कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सुरक्षित रखा। कुरियन शुरू से इस आरोप से इंकार करते
रहे हैं और इस पूरे घटनाक्रम को उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र बता रहे हैं। इसी क्रम
में कुरियन ने पत्र के जरिए उपराष्ट्रपति और यूपीए-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को
कैफियत दी है। पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से मिलना चाहा पर समय न दिए जाने के
चलते पत्र लिखना पड़ा। अदालत के सामने जाने से पहले उन्होंने राज्यसभा और कांग्रेस
अध्यक्ष को स्थिति स्पष्ट करना मुनासिब समझा। उन्हें भरोसा है कि ऐसा करने से वह अपने
विरुद्ध दुर्भावना से प्रेरित होकर राजनीतिक छवि धूमिल करने के लिए 17 वर्ष पुराने
मामले को फिर से खोले जाने के अभियान को रोक सकें। कुरियन के दुर्भाग्य से ऐसा होता
नहीं लगता। इसलिए कि केरल विधानसभा के राजनीतिक गलियारों से निकलकर अब यह मामला दोबारा सुनवाई के लिए सुप्रीम
कोर्ट के निर्देश के साथ हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सदन से
सड़क तक और राजनीतिक दलों से संगठनों तक, सभी की दो राय स्पष्ट हैं। एक मामले की दोबारा
निष्पक्ष जांच और सुनवाई हो और दूसरी यह कि बेदाग होने तक कुरियन नैतिक आधार पर राज्यसभा
के उपसभापति पद से इस्तीफा दे दें। ये बहुमत के विचार हैं। इसलिए कि पीड़ित अपने बयान पर कायम है और इस मामले में एकमात्र दोषी किन्तु
जमानत पर छूटते ही फरार वकील ने एक अज्ञात स्थान से चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कुरियन
को दागी ठहराया है। कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी की मुसीबत यह है कि एक तरफ तो देश का
बलात्कारियों के प्रति माहौल बहुत गरम है और दूसरा बजट सत्र शुरू होने वाला है। कुरियन
को पार्टी की खातिर इस्तीफा खुद ही दे देना चाहिए और पार्टी की होने वाली फजीहत से
बचाना चाहिए। नाम साफ होते ही लौट सकते हैं।
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