Saturday, 16 February 2013

उत्तर कोरिया की दादागीरी ने बढ़ाई अमेरिका, जापान और भारत की चिन्ता



 Published on 16 February, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
अमेरिका की चेतावनी को धत्ता बताते हुए उत्तर कोरिया ने मंगलवार को अब तक का अपना सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया। कम्युनिस्ट देश ने भूमिगत टेस्ट के सुरक्षित और बिल्कुल सही तरीके से होने का दावा किया है। वैज्ञानिकों ने जमीन के अन्दर एक सूक्ष्म परमाणु उपकरण से विस्फोट किया। उत्तर कोरियाई समाचार एजेंसी ने इसकी पुष्टि की। इससे करीब तीन घंटे पहले देश के पुंगचेरी परमाणु केंद्र के आसपास भूमिगत झटके महसूस किए गए थे। यह स्थल चीन सीमा के नजदीक है। प्योगयांग ने पहला परमाणु परीक्षण वर्ष 2006 में और दूसरा 2009 में किया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने उस पर कई प्रतिबंध लगाए थे। यह परमाणु परीक्षण ऐसे समय किया गया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है। परीक्षण पर ओबामा की प्रतिक्रिया काफी कड़ी थी। ओबामा ने कहा कि यह अत्यंत उकसावे की कार्रवाई है। इससे क्षेत्रीय स्थिरता को चोट पहुंचती है। ऐसा कदम उत्तर कोरिया को अधिक सुरक्षित नहीं बनाता। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के फैसला लेने का वक्त आ गया है। वाशिंगटन अपने और सहयोगियों की रक्षा के लिए लगातार जरूर कदम उठाता रहेगा। परीक्षण पर चिन्ता जताते हुए भारत ने कहा कि उत्तर कोरिया ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया है। उत्तर कोरिया को ऐसी कार्रवाई से दूर रहना चाहिए जिसका क्षेत्रीय शांति पर बुरा प्रभाव पड़े पर उत्तर कोरिया को अंतर्राष्ट्रीय रिएक्शनों की परवाह नहीं है। उसने कहा कि यह तो हमारी पहली प्रतिक्रिया थी। अमेरिका शत्रुतापूर्ण नीति जारी रखता है तो हम दूसरे और तीसरे स्तर का और अधिक शक्तिशाली कदम उठाएंगे। परीक्षण आत्म रक्षा के लिए किया गया और कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं हुआ। इस बार जिस मिनिचेयर बम का टेस्ट किया गया है उसके बारे में यह माना जा रहा है कि कोरिया मिसाइल में लगाने लायक बम तैयार कर चुका है। अभी दो महीने पहले ही उत्तर कोरिया ने एक ऐसी मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसमें परमाणु बम लगाया जा सके। हालांकि वह कितने भी हठधर्मी का परिचय दे लेकिन यह जानता है कि उसके बम दक्षिण कोरिया, जापान व अमेरिका की ताकत के मुकाबले में कुछ भी नहीं हैं। अलबत्ता इन देशों से टकराना उनका मकसद है भी नहीं, उसका मकसद तो एक ऐसा हथियार हासिल करना है जिसके चलते कोई अन्य देश उत्तर कोरिया की तानाशाही से पंगा लेने से  बचे। उत्तर कोरिया की शासन व्यवस्था पूरी दुनिया में सबसे अजूबा है। वहां एक ऐसी सरकार है जो खुद को तो कहती है साम्यवादी पर इसके बावजूद वहां कई पीढ़ियों से एक ही परिवार का शासन है। पूरी शासन व्यवस्था इस परिवार के मुखिया के महिमामंडन तथा चापलूसी पर टिकी है। अमेरिका की मुश्किल यह है कि उसके प्रयासों पर पानी फिर रहा है। इधर उत्तर कोरिया तो उधर ईरान दोनों ही अमेरिका को नीचा दिखाने पर तुले हुए हैं। हालांकि चीन ने उत्तर कोरिया के ताजा परीक्षण की निन्दा की है पर सारी दुनिया जानती है कि उत्तर कोरिया अगर यहां तक पहुंचा है तो वह चीन की मदद से ही पहुंचा है। भारत के लिए यह परीक्षण इसलिए भी चिन्ता पैदा करने वाला है क्योंकि उत्तर कोरिया अपनी मिसाइलें पड़ोसी पाकिस्तान को देता है और पाकिस्तान का एटमी जखीरा काफी हद तक उत्तर कोरिया की ही देन है।

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