Wednesday 20 February 2013

अरुण जेटली की जासूसी कौन कर रहा है और क्यों?


 Published on 20 February, 2013 
  अनिल नरेन्द्र 
पिछले कई दिनों से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर थी कि भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली का फोन टेप हो रहा है। क्या अरुण जेटली की कोई जासूसी कर रहा है? ये सवाल जेटली की कॉल डिटेल की कथित जांच को लेकर खड़ा हुआ। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मामले को गम्भीर बताते हुए गृहमंत्री से सवाल किया है कि ऐसा किसके कहने पर किया गया। अब इस मामले में पर्दा उठ चुका है। इससे पहले प्रकाश जावडेकर ने सरकार से प्रश्न किया आखिर उसके राज में हो क्या रहा है? ये जासूसी क्यों की जा रही है? देश में लोकतंत्र है या तानाशाही लागू हो गई है? गृहमंत्री को सफाई देनी चाहिए। अरुण जेटली के फोन नम्बर की डिटेल निकलवाने के केस में धीरे-धीरे परतें खुल रही हैं। पोंटी चड्ढा के भाई हरदीप सिंह चड्ढा की कॉल डिटेल में मिले नम्बरों की ऑनरशिप साउथ दिल्ली की पुलिस ने जांच के दौरान निकलवाई थी। इनमें जेटली का भी नम्बर आया। साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस के आपरेशंस सेल के एसीपी कुलवंत सिंह ने स्पेशल सेल को बताया कि 17 नवम्बर को छत्तरपुर में पोंटी चड्ढा और उनके भाई हरदीप चड्ढा के मर्डर के बाद उनकी कॉल डिटेल में मिले फोन नम्बरों की ऑनरशिप हासिल की गई थी। हरदीप की कॉल डिटेल में मिले नम्बरों में एक नम्बर अरुण जेटली का भी था। हरदीप की मौत से एक दिन पहले उनकी जेटली से बात हुई थी। उनकी बातचीत का संबंध चड्ढा बंधु हत्याकांड से न मिलने की वजह से जेटली से कोई पूछताछ नहीं की गई थी। यह मामला नवम्बर को ही खत्म हो गया था। पुलिस को इस नम्बर की ऑनरशिप मिलने के बाद ही जानकारी मिली थी कि नम्बर जेटली का है। जनवरी में एयरटेल को नई दिल्ली डिस्ट्रिक्ट पुलिस के आपरेशंस सेल के एसीपी की ओर से ईमेल मिला, जिसमें एक नम्बर की कॉल डिटेल रिकार्ड भेजने के लिए कहा गया था। एयरटेल के अफसरों ने वह नम्बर अरुण जेटली का होने की वजह से अपने नोडल अफसर को एसीपी भूप सिंह शौकीन से कन्फर्म करने को कहा। चाणक्यपुरी के एसीपी भूप सिंह ही आपरेशंस सेल का भी चार्ज सम्भाल रहे थे। तब यह राज खुला कि जेटली की कॉल डिटेल कोई अवैध रूप से मांग रहा था। जांच के बाद स्पेशल सेल ने शुक्रवार को आईटी एक्ट के तहत कांस्टेबल अरविन्द डबास को गिरफ्तार किया। वह पिछले साल नई दिल्ली के स्पेशल स्टाफ में तैनात था। इस वजह से डबास एसीपी के ईमेल का पासवर्ड जानता था। सीनियर अफसरों ने बताया कि डबास पोंटी-हरदीप मर्डर केस की वजह से जेटली की सीडीआर नहीं मंगा रहा था। उसे उत्तराखंड के किसी नेता ने हरदीप मर्डर केस में गिरफ्तार सुखदेव सिंह नामधारी के किसी आदमी ने यह डिटेल निकलवाने के लिए हायर नहीं किया था। डबास यह जालसाजी निजी वजह से कर रहा था। दरअसल डबास अपनी जमीन के मुआवजे में से एक करोड़ रुपए देहरादून में इन्वेस्ट करने के लिए वहां के किसी भाजपा नेता को दे चुका था। वह नेता उसे चीट कर रहा था। नोएडा के किसी आदमी ने खुद को जेटली का नजदीकी बताते हुए डबास को भरोसा दिलाया कि अगर वह उसे 10 लाख रुपए दे दे तो देहरादून के बीजेपी नेता को वह जेटली से फोन करा देगा। उसने यकीन दिलाने के लिए जेटली का नम्बर डबास को दिया था। डबास ने उस नम्बर की असलियत पता लगाने के लिए उसकी ऑनरशिप ही नहीं बल्कि सीडीआर भी मांगने के लिए एयरटेल को ईमेल किया था। इस कहानी में कितना दम है इसका पता नहीं, लेकिन यह साफ है कि जेटली के कॉल डिटेल्स लेने की कोशिश हुई है और वह भी एक-दो नहीं चार-चार पुलिस दफ्तरों से, ऐसे में सवाल है कि क्या कोई जेटली की जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। गृह मंत्रालय ने भी फोन टैपिंग के आरोपों को खारिज कर दिया है और इस मामले में पुलिस से पूरी रिपोर्ट मांगी है।

No comments:

Post a Comment