Sunday 16 June 2013

स्नोडेन का सनसनीखेज खुलासा : अमेरिका दूसरे देशों की जासूसी कर रहा है

चीन की साइबर जासूसी के बाद अमेरिका द्वारा की जा रही सबसे बड़ी साइबर जासूसी का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। कई एशियाई देशों की सरकारें संकट में फंस गई हैं। क्योंकि वे अपना सारा कामकाज गूगल, याहू जैसी वेबसाइट्स के जरिये करती हैं। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) प्रिज्म  कार्यक्रम के तहत इनकी जासूसी कर रही है। 29 साल के अमेरिकी नागरिक एडवर्ड स्टोन ने ब्रिटेन के समाचार पत्र गार्जियन और अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट के माध्यम से अमेरिका के खिलाफ दो अहम खुलासे करके पूरे विश्व को चौंका दिया है। पहला ः अमेरिका की एनएसए लाखों अमेरिकियों की टेलीफोन कॉल का विवरण इकट्ठा कर रही है। अमेरिकी सरकार का इस बाबत बयान आया कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के इस कार्यक्रम का मकसद उन फोन कॉल्स का ब्यौरा इकट्ठा करना है जो संदिग्ध हैं।
इस कार्यक्रम में कॉल करने वाले लोगों की बात नहीं सुनी जाती। अपने नागरिकों की जासूसी के खुफिया अभियान `प्रिज्म' को चलाने वाली एनएसए अब अपनी साख बचाने में जुटी है। एनएसए के निदेशक जनरल कीथ अलेक्जेंडर ने अमेरिकी संसद के समक्ष सफाई देते हुए कहा कि प्रिज्म ने दर्जनों आतंकी हमले रोके हैं। उन्होंने कहा स्नोडेन के खुलासे से देश को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हमारा देश और नागरिक दुनियाभर में खतरे में पड़ गए हैं। दूसरा खुलासा स्नोडेन ने किया है वह है एनएसए और एफबीआई जैसी खुफिया एजेंसियां, इंटरनेट और सोशल वेबसाइटों पर निगाह रखती हैं।
यों एजेंसियां फेसबुक, यूट्यूब, स्काइप, एपल पॉलटॉक, गूगल, माइक्रोसाफ्ट और याहू समेत नौ बड़ी इंटरनेट कम्पनियों के सर्वर से यूजर्स के बारे में जानकारी ले रही है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार चूंकि एडवर्ड एनएसए में सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर था लिहाजा एनएसए से जुड़ी क्लासीफाइड सूचनाओं को सहेजने वाले सर्वर तक उसकी व्यापक पहुंच थी। यही नहीं, उसकी पहुंच अन्य अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की सूचनाओं तक होने से भी वे लोग इंकार नहीं करते हैं। एक शीर्ष सांसद जो सदन की गृह सुरक्षा समिति की आतंकी रोधी और खुफिया उपसमिति के अध्यक्ष पीटर किंग ने कहा कि इस प्रोग्राम ने कई आतंकी हमलों को रोका और मुंबई हमलों के दोषी डेविड हैडली को पकड़वाने में मदद की। हेडली के आतंकी संबंधों का पता इसी राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रम के जरिये लगा। भारत भी इस नए कार्यक्रम से अछूता नहीं रहा। प्रिज्म जासूसी कार्यक्रम के जरिये भारतीयों के कम्प्यूटरों से करीब 6.3 अरब सूचनाएं चुराई गई हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत पांचवां देश है, जहां से सबसे ज्यादा निजी आंकड़ों और दस्तावेजों को हैक कर खंगाला गया है। भारत सरकार ने यह मामला अमेरिकी सरकार के सामने उठाया है। सरकार कह चुकी है कि अगर इसमें किसी भारतीय कानून का उल्लंघन हुआ होगा तो कतई बर्दाश्त नहीं होगा। यह मामला 24 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक में भी उठाया जाएगा। प्रिज्म अभियान का खुलासा करने वाले स्नोडेन की अमेरिका खोज में लगा है। स्नोडेन आखिरी बार हांगकांग में था। अब वह होटल से गायब है। दो दिन पहले उसने कहा था कि उसे किसी का डर नहीं और उसने जो किया, सही किया।

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