Published on 14 June,
2013
अनिल नरेन्द्र
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सोमवार को दिल्ली
पुलिस की अदालत में बहुत किरकिरी हुई। पुलिस ने क्रिकेटर श्रीसंत और अन्य के खिलाफ
मकोका लगाने को लेकर लाख दलील पेश कीं लेकिन अदालत पुलिस की दलीलों से संतुष्ट नहीं
हुई। पुलिस इस स्टेज पर मकोका मामले में आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई तभी
आरोपियों को जमानत मिली। जब पुलिस ने श्रीसंत इत्यादि पर मकोका लगाया था तो पाठकों
को याद होगा कि मैंने इसी कॉलम में लिखा था कि यह गलत लगाया है और यह अदालत में ठहर
नहीं पाएगा पर पुलिस ने खानापूर्ति करने के लिए मकोका लगा दिया। यह हश्र तो होना ही
था। अदालत ने साफ कहा कि ऐसा कोई आधार नहीं बनता, जिसके तहत आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र
संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पड़ती।
पुलिस के पास आरोप साबित करने के लिए सबूत ही नहीं हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल
ने मकोका की धारा 3 व 4 के तहत क्रिकेटर व बुकीज समेत 26 लोगों के खिलाफ बीते चार जून
को मामला दर्ज किया था। अदालत के पूछने पर अधिकारियों ने बताया था कि इस बाबत स्पेशल
सेल के ज्वाइंट कमिश्नर से मकोका लगाने की अनुमति ले ली गई है। इस मामले में एक आरोपी
अभिषेक शुक्ला को अदालत ने पहले ही जमानत पर रिहा कर दिया था। साकेत स्थित एडीशनल सेशन
जज विनय कुमार खन्ना की अदालत ने पुलिस के बजाय आरोपी खिलाड़ियों और अन्य पर प्रथमदृष्टया
विश्वास जताते हुए कहा कि आरोपी आदतन अपराधी नहीं हैं। इनका अतीत साफ है और जहां तक
अदालत का मानना है कि यह आरोपी कानून से भागने का प्रयास नहीं करेंगे। हालांकि अदालत
ने आरोपियों को हिदायत दी कि वह अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कर दें। साथ ही कहा कि
बगैर अदालत की अनुमति के वह देश छोड़कर न जाएं। अदालत की नजरों में पुलिस कई जगह फेल
हुई। जब अदालत में पुलिस ने अंडरवर्ल्ड व बुकीज के बीच फोन पर बातचीत की सीडी पेश की
जिसमें एक करोड़ व 90 लाख रुपए में सौदेबाजी की बात सामने आई तो अदालत ने कहा सौदा
किसलिए हो रहा है। यह तथ्य सीडी से नहीं हो रहा स्पष्ट। पुलिस का दावा दाउद और रमेश
व्यास के बीच हुई बातचीत, अदालत ने कहा कि कैसे करेंगे यह दलील साबित। पुलिस ने अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम और छोटा
शकील द्वारा भारत में चलाए जा रहे सट्टे के कारोबार में क्रिकेटर व अन्य की भागीदारी
को साबित करने के लिए नहीं पेश किए सबूत। पुलिस ने कहा कि 18 जून से पहले कोई दस्तावेज
व अन्य साक्ष्य पेश करने की स्थिति में नहीं। जांच प्रारम्भिक स्तर पर है। अदालत ने
कहा, बगैर सबूत के कैसे लगा दिया मकोका? दाउद, शकील के अलावा दो अन्य बड़े सरगनाओं
जावेद व सलमान के सिंडिकेट में शामिल होने
की दलील पेश की पर यहां भी पुलिस के हाथ खाली
निकले। अदालत ने कहा कि महज बातों से नहीं चलाया जाता मुकदमा। एएसजे साकेत कोर्ट ने
साफ कहा कि दिल्ली पुलिस ने मकोका प्रावधान का दुरुपयोग किया है। अगर आपने किसी भी
आरोपी के खिलाफ मकोका लगाया है तो पहले संबंधति प्राधिकृत अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य
है। साथ ही आरोप साबित करने संबंधी साक्ष्य भी प्रत्येक आरोपी के खिलाफ उस समय हाथ
में होना जरूरी है, लेकिन इस मामले में दिल्ली पुलिस नाकाम साबित हुई है।
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Because too often "there are no conditions!" ...
To love without conditions, unconditionally and entirely