Published on 13 June,
2013
अनिल नरेन्द्र
भारत में क्रिकेट खिलाड़ियों की कमाई का अब हिसाब ही
नहीं रहा। जो सफल है या अपने कैरियर को सही तरीके से भुनाने में माहिर है उस पर ऊपर
वाला धन की ऐसी वर्षा कर रहा है जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। मैं यहां खासतौर
पर टीम इंडिया के कप्तान मिस्टर कूल यानी महेन्द्र सिंह धोनी की बात कर रहा हूं। भारतीय
क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी हितों के टकराव को लेकर बेशक इस समय विवादों के
घेरे में हों लेकिन सर्वाधिक कमाई करने वाले दुनिया के 100 शीर्ष खिलाड़ियों में वे
16वें स्थान पर पहुंच गए हैं। उनकी सालाना कमाई 3 करोड़ 15 लाख डॉलर (179 करोड़ रुपए)
है। वे फार्मूला वन स्टार फर्नांडो अलोंसो (3 करोड़ डॉलर), टेनिस बादशाह नोवाक जोकोविच
(2.69 करोड़ डॉलर) व तेज धावक उसैन बोल्ट से कहीं आगे हैं। बिजनेस पत्रिका `फोर्ब्स'
ने अपने वार्षिक सर्वे में पिछले एक वर्ष की कमाई के आधार पर यह आंकड़ा निकाला है।
गोल्फ के बेताज बादशाह अमेरिका के टाइगर वुड्स एक बार फिर कमाई में नम्बर वन हैं। उनकी
सालाना कमाई सात करोड़ 80 लाख डॉलर है जबकि ग्रेंड स्लैम खिताबों पर कब्जा रखने वाले
स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर (सात करोड़ 10 लाख डॉलर) दूसरे स्थान पर है। मास्टर ब्लास्टर
सचिन तुंदलकर की कमाई दो करोड़ 20 लाख डॉलर है जिसमें एक करोड़ 80 लाख डॉलर प्रायोजन
से तथा 40 लाख डॉलर की कमाई व अवार्ड राशि में शामिल है। कमाई की दुनिया की शीर्ष
100 खेल हस्तियों में सिर्प दो क्रिकेटर हैं और वे दोनों भारत से हैं। कभी-कभी इतने
पैसों के साथ विवाद भी हो जाते हैं। महेन्द्र सिंह धोनी भी एक ऐसे विवाद में फंसते
नजर आ रहे हैं। उनके ऊपर एक नया आरोप लग रहा है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक
स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में धोनी की 15 फीसदी हिस्सेदारी
है। यह कम्पनी टीम इंडिया में खेलने वाले चार दूसरे खिलाड़ियों का भी मैनेजमेंट देखती
है। कम्पनी धोनी के करीबी दोस्त और कारोबारी सहयोगी अरुण पांडे चलाते हैं। यह कम्पनी
इनकी कारोबारी जिन्दगी को भी मैनेज करती है। यह कम्पनी कई तरह के कारोबारी संगठनों
से जुड़ी है। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार कम से कम दो मामलों में प्रोप्राइटी और हितों
के टकराव की स्थिति बनती है। इसके अलावा कहा गया है कि चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक
श्रीनिवासन की कम्पनी इंडिया सीमेंट्स में धोनी उपाध्यक्ष भी हैं। मीडिया रिपोर्ट के
अनुसार महेन्द्र सिंह धोनी की रिति स्पोर्ट्स में 15 फीसदी की हिस्सेदारी है और इसी
वजह से हितों के सम्भावित टकराव का सवाल उठा है। इसने यह भी दावा किया कि कम्पनी आरपी
सिंह, सुरेश रैना, रविन्द्र जडेजा और प्रज्ञान ओझा का भी प्रबंधन देखती है। इनमें जडेजा
और रैना चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल में खेलते हैं। 2010 में धोनी ने रिति स्पोर्ट्स
के साथ 210 करोड़ रुपए यानी सालाना 70 करोड़ रुपए का करार किया था जो भारतीय क्रिकेट
में सबसे महंगा करार था। जब श्री जगमोहन डालमिया से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब
था कि हितों के टकराव के इस मामले पर चैंपियंस ट्रॉफी की समाप्ति पर जांच की जा सकती
है और अगर इन आरोपों में सच्चाई पाई गई तो बीसीसीआई अपने कानूनों के अनुसार कार्रवाई
कर सकती है। यह अच्छी बात है कि क्रिकेट में पैसा आ रहा है और वे दिन बीत गए जब किसी
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी के पास भी दो बल्ले ही होते थे या खेल में अच्छा खासा कैरियर
छोड़कर खिलाड़ी कोई सुरक्षित नौकरी ढूंढता था। लेकिन इस पैसे के साथ जो बुराइयां आई
हैं, वे इस खुशी को कम करती हैं। खेल का व्यवसायीकरण हो तो कोई बुराई नहीं। व्यापार
के साथ पैसा आता है, जो खेल को अच्छी तरह चलाने के लिए जरूरी है, लेकिन जो व्यापार
हो, वह साफ-सुथरा हो और अच्छे व्यापार की आर्थिक व नैतिक मर्यादाओं के अनुकूल हो। धोनी
अच्छे खिलाड़ी हैं, अच्छे कप्तान हैं इसमें कोई शक नहीं, लेकिन विवादास्पद बोर्ड अध्यक्ष
एन. श्रीनिवासन के साथ उनके व्यापारिक रिश्ते व रिति स्पोर्ट्स में उनकी भागीदारी को
लेकर उठे सवालों का देश की जनता जवाब जरूर चाहेगी।
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