Published on 21 June,
2013
अनिल नरेन्द्र
ईरान के चुनाव नतीजे लगभग ऐसे
ही आए हैं जैसी उम्मीद की जा रही थी। नतीजों से साफ है कि वहां के लोग बदलाव चाहते
हैं। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में आठ साल बाद एक बार फिर सुधारवादियों को सफलता
मिली है। हसन रोहानी ईरान के नए राष्ट्रपति होंगे। पचास फीसद से कुछ अधिक मत पाकर इसकी
शर्त उन्होंने पूरी कर ली है। पहले ही दौर में यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया। राष्ट्रपति
के तौर पर लगातार दो कार्यकाल पूरा कर चुके महमूद अहमदीनेजाद संवैधानिक बंदिश के कारण
इस बार चुनाव नहीं लड़ सकते थे पर उनकी विदाई ईरान के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर शख्सियत
का ही बदलाव नहीं है। यह एक दौर की विदाई है। जिसमें ईरान अपने विवादित परमाणु कार्यक्रम
के कारण, पश्चिमी दुनिया के निशाने पर रहा है। दूसरे पिछले कुछ सालों से ईरान में नागरिक
अधिकार लगातार सीमित किए जाते रहे हैं। सुधारवादियों की जीत के दो अर्थ निकलते हैं।
पहला कि ईरान के अधिकतर लोग बाहरी दुनिया से संबंध सुधारने के पक्षधर हैं और दूसरा
वे चाहते हैं कि नागरिक आजादी पर लगी पाबंदियां हटें। ईरान एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़
पर आकर खड़ा हो गया है। सुधारवादी नेता हसन रोहानी के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के
बाद देश में जबरदस्त उत्साह का माहौल है। रविवार को एक तरफ जहां सड़कों पर लोग खुशी
मनाते देखे गए वहीं ईरानी शेयर और मुद्रा बाजार में ऐतिहासिक उछाल देखा गया। शनिवार
देर रात जैसे ही रोहानी की जीत की घोषणा हुई उनके हजारों समर्थक सड़कों पर निकल आए।
यह सिलसिला रविवार को अपने शबाब पर दिखा। जगह-जगह लोग रोहानी जिन्दाबाद के नारे लगाते
नजर आए। पश्चिमी मीडिया की माने तो ईरान की जनता ने रोहानी के रूप में बदलाव को अपना
समर्थन दिया है। हसन रोहानी ने अपनी जीत के बाद यह प्रतिक्रिया दी ः यह ज्ञान, उदारवाद,
विकास की जीत के साथ अतिवाद व बीमार गुस्से पर प्रतिबद्धता की जीत है। जनता में जिस
तरह का उत्साह है उससे पता चलता है कि देश के लोग अपने भविष्य को लेकर कितने आशावादी
हैं। हसन रोहानी की जीत से पश्चिमी दुनिया ने राहत की सांस ली है। यहां ब्रिटेन और
फ्रांस ने चुनाव परिणाम का स्वागत करते हुए ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फिर से बातचीत
शुरू होने की उम्मीद जताई है, वहीं अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के नवनिर्वाचित नरमपंथी
राष्ट्रपति हसन रोहानी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। विदेश मंत्री जॉन कैरी ने
शनिवार को कहाöहम ईरान की नई सरकार के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। अमेरिका को
उम्मीद है कि नई सरकार अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करेगी ताकि उसके परमाणु कार्यक्रम
को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिन्ता दूर की जा सके। हालांकि सुधारवादी रोहानी
की जीत के बाद भी इजरायल और पश्चिमी देश अब भी आशंकित हैं। दरअसल उन्हें देश के सुप्रीम
लीडर आयतुल्लाह अली खोमैनी को लेकर आशंका है। पश्चिमी जगत को लगता है कि विवादित परमाणु
कार्यक्रम को लेकर रोहानी विशेष सुधार नहीं कर पाएंगे। परमाणु नीति खोमैनी तय करेंगे
न कि रोहानी।
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