Saturday 8 June 2013

अब 84 के दंगा पीड़ितों के मुआवजे में भी फिक्सिंग


 Published on 8 June, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 यह फिक्सिंग की नई बीमारी एक एपिडेमिक की तरह फैल रही है। अब 1984 के दंगों में करोड़ों के मुआवजे को लेकर फिक्सिंग का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों में पीड़ितों को बांटे जा रहे मुआवजे में जबरदस्त घोटाला और फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया है। 41 जिन्दा सिखों को मृत दिखाकर दो करोड़ 87 लाख रुपए मुआवजा लेने की कोशिश के सबूत मिलने पर मंगलवार को शाम एक एफआईआर दर्ज की गई। इस फर्जीवाड़े में शामिल रैकेट इतना शातिर है कि उन्होंने ऐसे लोगों की दंगाइयों के हाथों हत्या की पुलिस रिपोर्ट बना ली थी, जो अब भी जिन्दा हैं। यही नहीं, उस रिपोर्ट पर पुलिस की एंटी रॉयर सेल के डीसीपी के फर्जी दस्तखत भी कर दिए। घोटालेबाजों ने मंगोलपुरी और सुल्तानपुरी में रहने वाले 41 जिन्दा लोगों को कागजों में मरा बताकर दिल्ली पुलिस की एंटी रॉयर सेल (दंगा विरोधी सेल) के हवाले से रिपोर्ट तैयार करके मरने वालों के नाम से 7-7 लाख रुपए लेने की तैयारी थी। क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पुलिस अधिकारियों ने यह गड़बड़ी पकड़ ली। रिपोर्ट की दिल्ली पुलिस के दंगा विरोधी सेल से जांच कराने पर जब फर्जीवाड़ा पकड़ में आया तो सेल के इंस्पेक्टर की तरफ से आर्थिक अपराध शाखा में मामला दर्ज कर लिया गया है। आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी संजय त्यागी के मुताबिक 41 जिन्दा लोगों को मरा बताकर 2 करोड़ 87 लाख रुपए मुआवजा  लेने की कोशिश की गई। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बीते मार्च महीने में गृह मंत्रालय की तरफ से निर्देश आया था कि दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने से पहले उनकी पूरी जांच कर ली जाए। निर्देश के तहत 10 दिन पूर्व जब दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग और दिल्ली पुलिस एंटी रॉयर सेल की संयुक्त क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई तो पता चला कि मंगोलपुरी और सुल्तानपुरी के जिन 41 लोगों को मरा दिखाकर रिपोर्ट तैयार की गई थी, उसमें सभी के बारे में तकरीबन एक ही तरह के ब्यौरे लिखे हुए थे। ऐसे में यह बात जब क्रीनिंग कमेटी के सामने आई तो अधिकारियों को शक हुआ। पुलिस अधिकारी के मुताबिक शुरुआती जांच में तीन स्तर पर गड़बड़ का शक है। एक रैवेन्यू स्टाफ, दूसरा दिल्ली पुलिस का स्टाफ और तीसरा वे लोग जिनके नाम पर मुआवजा लेने की कोशिश की गई। 84 के दंगों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार मौत हुई 1553 की, मुआवजा बांटा 2200 को। एंटी रॉयर सेल के रिकार्ड के मुताबिक दंगे में मरने वालों की संख्या 1551 थी जबकि सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब 2200 लोगों को 7-7 लाख रुपए के हिसाब से मुआवजा दिया जा चुका है। मुआवजा देने की प्रक्रिया अब भी जारी है। सूत्रों के मुताबिक दंगा पीड़ितों के नाम पर अब तक 45 करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है और यह सिलसिला जारी है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पीड़ित परिवारों को इतनी अभूतपूर्व क्षति हुई है जो कभी पूरी नहीं हो सकती और यहां पीड़ितों के नाम पर इतनी धोखाधड़ी हो रही है। लाशों पर भी पैसा कमाया जा रहा है।

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