Published on 2 June,
2013
अनिल नरेन्द्र
लगातार दो साल स्पॉट फिक्सिंग
प्रकरण से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की छवि धूमिल हुई है। इस आकर्षक लीग को बन्द
करने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। लेकिन हमारा कहना है कि आम आदमी फिक्सिंग से खफा
है, आईपीएल से नहीं। दोष खिलाड़ियों का है, खेल का नहीं। आईपीएल से दर्जनों युवकों
को अपना हुनर दिखाने का प्लेटफार्म मिला है, रिटायर्ड खिलाड़ियों को भी रोजगार मिला
है। पूरे देश की होटल इंडस्ट्री, ट्रेवल एजेंसियों, ग्राउंड स्टॉफ, नए स्टेडियम भी
बने हैं। यह सब आईपीएल की वजह से ही हुआ। नहीं तो रांची जैसी जगह में इतना शानदार स्टेडियम
बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। यह फिजूल के समाज विरोधी टीवी सीरियलों से
भी निजात मिली। दोष बीसीसीआई का सबसे ज्यादा
है और उसमें भी अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन का। सारा देश श्रीनिवासन को हटाने की मांग कर
रहा है। ताज्जुब तो यह है कि क्रिकेट राजनीति से जुड़े नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया
और खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह के अलावा किसी भी नैतिकता के ठेकेदारों ने श्रीनिवासन
से इस्तीफा मांगने का साहस नहीं दिखाया। राजीव शुक्ला पहले तो श्रीनिवासन के समर्थन
में खड़े रहे, अब उस समर्थन को थोड़ा हल्का करते हुए उन्होंने अपनी और अरुण जेटली की
ओर से श्रीनिवासन से अपनी जांच से खुद को अलग रखने की उपेक्षा मात्र की है जबकि ये
दोनों ही राजनीति में अपने विपक्षी दल के किसी नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगते ही
इस्तीफे की मांग की तोता रट शुरू कर देते हैं। पाठकों को याद होगा कि मैंने इसी कॉलम
में लिखा था कि श्रीनिवासन साहब इस्तीफा तो आपको देना ही पड़ेगा। अब तो बीसीसीआई में
भी श्रीनिवासन के खिलाफ तेवर तेज हो गए हैं। 31 में से 18 सदस्य उन्हें हटाए जाने के
पक्ष में हैं। कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने तो यहां तक कहा है कि अगर श्रीनिवासन अपने
पद से नहीं हटते तो विरोध में अपना पद छोड़ देंगे। उधर श्रीनिवासन अपने पद पर बने रहने
की जिद्द पर अड़े हुए हैं। तमाम दबावों के बावजूद वे अपनी कुर्सी थामकर बैठे हुए हैं।
अब तो यह संदेह भी बढ़ता जा रहा है कि क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग का मायाजाल आईपीएल
के कुछ मैचों तक ही सीमित नहीं रहा। इस गंदे खेल की जड़ें बहुत गहरी लगती हैं। स्पॉट
फिक्सिंग के मामले में चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक गुरुनाथ मयप्पन पूरी तौर पर शक
के घेरे में आ चुके हैं। मयप्पन श्रीनिवासन के दामाद हैं। आरोप है कि वह क्रिकेट मैच
की अंदरूनी रणनीति की जानकारी सट्टेबाजों को देता था ताकि करोड़ों रुपए की कमाई हो
सके। स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में अब तक तीन खिलाड़ी व दो दर्जन सट्टेबाज भी गिरफ्त
में आ चुके हैं। सट्टेबाजी के इस नापाक खेल में मयप्पन की सक्रिय भूमिका रही है। इसी
से श्रीनिवासन के इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है। क्रिकेट के नामी प्रमोटर और सहारा
कम्पनी के प्रमुख सुब्रत राय सहारा श्रीनिवासन के
खिलाफ खुलकर सामने आ चुके हैं। सुब्रत राय ने तो यहां तक कह दिया है कि श्रीनिवासन
की भूमिका के चलते भारतीय क्रिकेट की साख गिरी है। अब केंद्रीय मंत्री व अंतर्राष्ट्रीय
क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने भी श्रीनिवासन के खिलाफ हुंकार
भर दी है। चौतरफा घिर जाने के बाद भी श्रीनिवासन कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
जिस क्रिकेट के लिए देश के करोड़ों लोग दिन-रात दीवाने रहते हों, उसका शीर्ष प्रबंधन
यदि इतनी बेशर्मी के लिए तैयार है तो सोचना होगा कि कहीं यह चक्कर कुछ ज्यादा गम्भीर
तो नहीं? दांव पर है आईपीएल की विश्वसनीयता। सवाल यह भी उठता है कि क्या श्रीनिवासन
के इस्तीफे देने मात्र से रोग दूर होगा? बेशक नहीं पर इस्तीफा सही दिशा में एक सही
कदम तो होगा।
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